भौतिक का एक सार्वभौमिक नियम है जो पूरे ब्रह्मांड पर एक समान लागू होता है वह नियम है Gravity यानी गुरुत्वाआकर्षण का नियम और यह नियम कहता है कि Space अर्थात् अंतरिक्ष में जिस का भार (सघनता) जितना अधिक होगा उसका गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही अधिक होगा और गुरुत्वाकर्षण बल का अपने से लघु को अपनी और आकर्षित करना ही इसकी विशेषता है
लघु इस आकर्षण में फस कर बंध कर या यह कहना भी गलत नहीं होगा के स्वयं अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए बाध्य हो कर लघु का अपने से महान की सुरक्षा
में बंधकर उसकी सुरक्षित कक्षा में उसकी परिक्रमा करता रहता है वह भलीभाँति जानता है कि वह इस सुरक्षा के बिना इस विशाल अंतरिक्ष
में लक्ष्य विहीन भटकता पिन्ड मात्र बन कर रह जायेगा अभी उस का कोई परिचय तो है
उदाहरण के लिए जैसे हमारा सौर मंडल -
हमारे सौर मंडल का केन्द्र हमारा महान सूर्य है जो हमे उष्मा , प्रकाश, ऊर्जा और जीवन देता है उसकी महानता के आगे हम अर्थात् पृथ्वी और सौर परिवार के अन्य सभी सदस्य लघु है हम इसकी कृपा पर आश्रित है हम इसके कर्तग्य है , इस बात का ज्ञान किसी भी वैज्ञानिक परिकल्पना और विशाल वैज्ञानिक ब्रह्मांडिय टेलिस्कोप के आविष्कार से भी पहले से पहले हमारे ज्ञानी मुनि पुर्वजो को था जिन्होंने सूर्य को भगवान के रूप में पूजा व सूर्य को जल चढ़ाने की परम्परा हमें विरासत में दी ताकि हम अपने जीवनदाता काे धन्यवाद ज्ञापित कर सके
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