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Wednesday, January 2, 2013

12 जनवरी 2013 स्वामी जी का 150 वां जन्म दिवस


12 जनवरी 2013 स्वामी जी का 150 वां जन्म दिवस ( सार्ध सती  )




कुछ विचार पानी पर खिची लकीर की तरह होते हैं जो कुछ पल रहते है और मिट जाते हैं इसी तरह कुछ विचार पत्थर पर खिची लकीर की भाती होते हैं जो सदा सदा के लिए अमिट होते हैं यही बात व्यक्तियों और उनके कार्यो पर भी  लागु होती हैं।
अधिकांस लोग पैदा होते हैं और पानी की लकीर की तरह  काल की धारा मैं लुप्त हो जाते हैं वही कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो  इतिहास के पन्नो मैं भविष्य को लिखते हैं और आने वाली पीडी और सदियों पर अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं।


ऐसे ही  युग पुरुष हुए  स्वामी विवेकानंन्द एक महान व्यक्तित्व जो शायद ईश्वरीय अवतार से कम न थे।
 एक युवा सन्यासी जो परिव्राजक हो कर राष्ट्र और धर्म को एक करने के लिए राष्ट्रधर्म के लिए  खड़े हुए पुरे भारत वर्ष की पैदल यात्रा करते हुए अमीर से लेकर गरीब से मिले ब्रहामन की कुटिया मैं भी रुके और दलित की सेवा भी स्वीकार की पुरे भारत की नस - नस  को जाना भारत के गौरव ,गरिमा ,सांस्क्रतिक महानता से लेकर समाज मैं फेली कुरीतियों और विषमताओ का भी अधयन्न किया
और अंत मैं दक्षिण पहुचे जहा विशाल हिन्द महासागर हिलोरे ले रहा था सागर के बीच मैं विशाल चट्टान को देख सागर मैं कूद पड़े और  लहरों को चीरकर उस शिला पर पहुचे जहा  माँ कन्याकुमारी ने घोर तप किया था स्वामी जी उसी शिला पर ध्यानस्थ हुए और लगातार तीन  दिनों तक ध्यान समाधि मैं रहे  और जब आखे खोली तो सामने भारतवर्ष के दर्शन हुए और एक अनभूति हुई की पूर्व को प्रभावित करने के लिए पहले पश्चिम को जितना होगा फिर क्या था स्वामी जी निकल पड़े अपने लक्ष्य को मूर्त रूप देने  


शिकागो धर्म सम्मेलन मैं भारत और हिंदुत्व धर्म - दर्शन का प्रतिनिधित्व करने  जहा उन्हें केवल इस आधार पर भाग लेने से रोका गया की वो किसी अधिकारिक धर्म संगठन के सदस्य नही थे। 
पर जब उसी सम्मलेन के अधिकारी ने स्वामी जी के विचार सुने तो धर्म सभा के अधिकारियो को पत्र लिख कर ये आदेश दिया की ये सन्यासी  हावर्ड के सभी विद्वानों से कही अधिक विद्वता लिए हुए हैं 
आखिरकार स्वामी जी ने शिकागो मैं लाखो लोग को "   sister's and brother's of my america "     कहा तो लाखो लोग खड़े होकर दस मिनट तक तालिया बजाते रहें, उनके ढाई मिनिट के भाषण के सामने बड़े बड़े विद्वानों के घंटो कम पड गये और पूरा पश्चिम भारत के एक सन्यासी का लोहा मान उठा अब तो लोग स्वामी जी को सुनने के लिए लोग घंटो बोर भाषण सुनते यही कारण था की सभा उनका उद्भोद्न सबसे आखिर मैं रखती पूरा विश्व मिडिया स्वामी जी के शब्दों से भर पडा ........................................शेष  भाग आगे