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Friday, February 5, 2016

मित्रता

मित्रता मानवीय रिश्तों का अनमोल उपहार है
मित्रता लिंगभेद उम्रभेद से परे होती है
बुजुर्ग व्यक्ति की मित्रता तरुण से हो सकती है
बशर्ते उनमे वैचारिक सामीप्य हो
एक सच्चा मित्र वह है जिससे व्यक्ति अपने मन की बात को निर्भीकता से कह सके
सच्चा मित्र वह है जो अपने मित्र की कमजोरियों को जानने के बावजूद उसका गलत फायदा न उठाये
एक अच्छा मित्र गुरु मार्ग दर्शक भ्राता की भूमिका भी निभाता है मित्रता में सद गुणों का अत्यधिक महत्व होता है दुर्गुणों से भरा मित्र पतन की राह पर ले जाता है स्वार्थी व्यक्ति कभी अच्छा मित्र नहीं हो सकता
कर्ण जैसा सदगुणी मित्र ने जहा दुर्योधन के जैसे दुर्गुणी मित्र की प्राण रक्षा के लिए 
बलिदान स्वयं का दे दिया
वही दुर्योधन जैसे स्वार्थी मित्र ने
 कर्ण को अपने स्वार्थ पूर्ति का साधन बना लिया मित्रता और रिश्ते समान स्तर पर अधिक निभते है ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे 
जो किसी जमाने में अच्छे मित्र थे 
सामाजिक और आर्थिक स्थिति में 
बदलाव के कारण मित्र नहीं रहे
ऐसा सिर्फ स्वार्थ भावना के कारण ही हुआ 
मित्र वह है जो अपने मित्र को 
निराश और अवसाद से बाहर निकाल दे 
मित्र वह है जो मित्र को नई दृष्टि प्रदान करे
मित्र वह है व्यक्ति को आत्मबल प्रदान करे 
परिश्रम हेतु प्रेरित करे 
मित्र वह है जो सहायता करे 
पर उसे उपकृत करने का अहसास न होने दे