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Wednesday, January 7, 2015

वचन के पालन द्वारा सेवा

माता पिता और गुरु जनो  की सेवा का 
बहुत अधिक महत्व है 
सेवा व्यक्ति को मन कर्म वचन से करनी चाहिए 
परन्तु बहुत कम  लोग माता पिता और गुरु जनो की सेवा
 वचन के पालन द्वारा कर पाते है 
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने तो अपने माता पिता की सेवा 
वचन के पालन द्वारा ही की थी 
भीष्म पितामह द्वारा उनके पिता शांतनु की ईच्छा  की 
पूर्ति हेतु की गई प्रतिज्ञा 
वचन के पालन द्वारा सेवा ही तो थी 
जो पुत्र और पुत्रिया अपने माता पिता से 
भौतिक दूरियों के कारण 
सेवा सुख लेने से वंचित रह जाते है
 वे यदि माता पिता की भावनाओ के अनुरूप 
आचरण और कार्य करे
 उनके संकल्पो की पूर्ति करे
 तो यह कार्य भी वचन द्वारा सेवा ही मानी जाती है 
वचन द्वारा सेवा का महत्व इसलिए भी अधिक है
 क्योकि   उसके  माध्यम से उन  पितृ  जनो की भी
 इच्छाओ की पूर्ति की जा सकती है
 जो वर्तमान में जीवित नहीं है
 इस प्रकार हम वचन द्वारा की गई सेवा से
 अपनों पितृ जनो का भी आशीष प्राप्त कर सकते है