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Monday, March 25, 2013

आयु अनुभव और परिपक्वता

क्या समझदार का आयु से कोई सम्बन्ध है 
क्या अधिक आयु का व्यक्ति अधिक समझदार होता है 
मेरे अनुसार अधिक आयु का सबंध अनुभव से होता है 
समझदारी के लिए अधिक आयु होना आवश्यक नहीं होती 
सामान्य रूप से वयस्क व्यक्ति उसे कहते है 
जो १८ वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो 
वयस्कता को परिपक्व मानसिकता का प्रतीक माना जाता है 
परन्तु यहाँ यह प्रश्न खडा होता की 
क्या प्रत्येक वयस्क व्यक्ति मानसिक रूप से परिपक्व है 
हम बहुत से ऐसे लोगो को जानते है 
जो वयस्कता की आयु पूर्ण किये जाने 
के बावजूद अपरिपक्व मानसिकता का प्रदर्शन करते रहते है 
उनके द्वारा लिए गए निर्णयों  में दूर दर्शिता नहीं होती 
इसलिए वयस्कता मानसिक  परिपक्वता का  पैमाना नहीं हो सकती 
हां वय्क्स्क व्यक्ति शारीरिक रूप से पूर्ण विकसित हो जाता है 
कई बार अधिक आयु के होने बावजूद व्यक्ति में 
अनुभवों का अभाव पाया जाता है 
कई व्यक्ति ऐसे है जिन्हें अल्पायु में पर्याप्त अनुभव प्राप्त हो चुके है 
समाज में ऐसे व्यक्तियों की कमी नहीं 
जिनके पास अधिक आयु अधिक अनुभवी होने 
के बावजूद वे एक ही प्रकार की त्रुटियों की पुनरावृत्ति करते रहते है 
अतीत के अनुभवों से वे कुछ भी नहीं सीखते 
इसलिए सदा अल्प आयु के व्यक्ति की समझदारी और परिपक्वता 
का निर्णय  उसकी आयु के आधार पर नहीं लिया जाना चाहिए 
अपितु आयु सम्बन्धी पूर्वाग्रह परे रख कर 
व्यक्ति के व्यक्तित्व और उसकी क्षमता का मूल्यांकन करना चाहिए 

माँ शारदे और हंस

माँ  शारदे का वाहन हंस क्यों होता है ?
इस प्रश्न के  उथले तौर  कई जबाब हो सकते है 
परन्तु सही जबाब यह है की हंस प्रतीक है धवल आचरण का 
हंस प्रतीक है नीर क्षीर विवेक का 
हंस प्रतीक है ज्ञान सरोवर में रमण करने वाले चित्त का 
हंस प्रतीक है कल्पना पखेरू का 
इसलिए माता सरस्वती  ऐसे चित्त में प्रवेश करती  है 
जो ज्ञान सरोवर में रमण करता हो 
माता सरस्वती धवल आचरण एवं ऊँचे शील से युक्त व्यक्ति की 
मति को अपना आसन बनाती है 
माँ सरस्वती कल्पना पखेरू जिसका एक पंख जिज्ञासा 
और दूसरा पंख अन्वेषण का  होता है 
उसे नया आकाश प्रदान करती  है