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Monday, April 22, 2019

शरीर से अशरीर की यात्रा

शरीर से अशरीर की यात्रा अध्यात्म का मार्ग है आत्मा से जुड़ी अनुभूतिया जितनी प्रखर होगी आध्यात्मिक गहराईयां उतनी गहरी होती जाती है व्यक्ति जब तक जीवित रहता है उसकी अनुभूतिया इन्द्रियों से जुड़ी रहती है परंतु व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात के शरीर का अंतिम संस्कार हो जाता है इंद्रिया नष्ट हो जाती है आत्मा शेष रहती आत्मानुभूतिया बची रहती है आत्म बल शेष रहता है आत्म ज्ञान शेष रहता है आत्मा से जुड़े संस्कार और विचार शेष रहते है इसलिए व्यक्ति के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वह जीवित रहते वह आत्मा ऐसा कार्य करे कि उसके आत्म बल आत्म ज्ञान में वृध्दि हो प्राणों की सिध्दि हो