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Sunday, August 19, 2012

भगवान् शेषनाग एवं पर्यावरण

भगवान् बल भद्र के सम्बन्ध में यह सभी को ज्ञात है 
की वे भूमि पुत्र थे किसानो के देवता कहे जाते है 
भगवान् बल भद्र शेष नाग के अवतार थे 
शेषनाग के बारे में हिन्दू धर्म में यह मान्यता है
 की उन्होंने समूर्ण पृथ्वी का भार अपने सहस्त्रो फनो पर उठा रखा है 
अर्थात उन्होंने पृथ्वी का संतुलन अपने सहस्त्रो फनो पर बना रखा है 
आशय यह है की जिस प्रकार से शेष नाग के 
मानव अवतार बल राम ने पृथ्वी पर कृषि पर 
ध्यान देकर पर्यावरण संतुलित करने का सन्देश दिया 
उसी प्रकार से भगवान् शेष नाग ने सहस्त्रो फनो पर पृथ्वी को धारण कर 
यह सन्देश दिया है की यदि पर्यावरण को संतुलित करने हेतु 
सह्त्रो उपाय करने की आवश्यकता है 
यदि हमने पर्यावरण को बचाने के उपाय नहीं किये  तो  
पृथ्वी पर प्रलय आने से कोई भी नहीं बचा पायेगा 
भगवान् विष्णु का संधि विच्छेद किये जाने पर विश्व +अणु होता है
 अर्थात ईश्वर का वह स्वरूप जो ब्रह्मांड के कण कण में व्याप्त है 
भगवान् शेष नाग भगवान् विष्णु के अनुगामी थे 
इसलिए विश्व के प्रत्येक अणु को तभी  हम  
पर्यावरण के अनुकूल बना सकते है 
जब हम भगवान् शेषनाग द्वारा बताये गए मार्ग का अनुसरण करेगे 
भगवान् शेष नाग के भौतिक रूप स्वरूप पृथ्वी पर   
विद्यमान सर्प जाती के प्राणी है 
जो हमारे खाद्य भण्डार को समाप्त करने वाले प्राणी चूहों 
को डस कर खाद्य का सरंक्षण करते है  
पर्यावरण का पहला सूत्र खाद्य श्रृंखला को बचाया जाए