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Thursday, February 18, 2016

पुरुषार्थ क्या है ?

पुरुषार्थ क्या है ?
पुरुषार्थ  जीवन का मध्य है 
पूर्वार्ध्द है उत्तरार्ध है
 पुरुषार्थ जीवन का भावार्थ  है 
पुरुषार्थी व्यक्ति के लिए यह खुला गगन है
क्षितिज तक विस्तृत्त  धरा है
विपत्तियाँ हुई बौनी विश्व हरा भरा है
पुरुषार्थ के बल पर विश्वामित्र ने
 ब्रह्म ऋषि का पद पाया था 
स्वर्ग और धरा के अतिरिक्त 
अपना एक अलग स्वर्ग  बनाया था 
पुरुषार्थ एक क्रान्ति है जिसके बल पर चाणक्य ने महान मौर्य सामार्ज्य  
और आर्यावर्त अखंड भारत बनाया था
पुरुषार्थी व्यक्ति 
जीवन में सभी महान लक्ष्यों को पाता  है 
परिस्थितिया  कितनी भी भीषण हो 
कठिनाईयों के सुनामी चक्रवातों से टकराता है 
पुरुषार्थ पुरुष होने का अर्थ है 
पुरुष होने का तात्पर्य 
पुरुषार्थ पाकर होना समर्थ है 
पुरुषार्थी परशुराम थे
 जिन्होंने पुरुषार्थी परशु पाकर 
पितृ ऋण  चुकाया था 
मार्कण्डेय ने अल्पायु से 
अमरता का वरदान पाया था
पुरुषार्थ ज्ञान अर्जन की अभिलाषा है 
मौन साधना है तपस्या की भाषा है
सीधे शब्दों में कहे तो आक्रामक नहीं 
सकारात्मक और रचनात्मक जीवन जीने की आशा है
 पुरुषार्थी  साधनो का नहीं 
प्रेरणा का मोहताज होता है
प्रेरणा के अभाव में व्यक्ति अपनी ऊर्जा खोता है 
इसलिए पुरुषार्थी बन कर 
भौतिक और आध्यात्मिक उपलब्धिया पाओ 
मानवीय संवेदना से हो परिपूर्ण हो 
जीवन को  सृजनात्मक विधाओ से सजाओ