शिव पूजा से अधिक शिवत्व भाव का है
शिवत्व में शिव तत्व विद्यमान है
शिव साकार स्वरूप है
तो शिवत्व निराकार भाव है
शिवत्व को जिसने धारण किया
उसने शिव स्वरूप को आत्मा में समाहित कर लिया है
शिव पूजा आसान है
शिवत्व धारण करना कठिन है
शिव कल्याण कारी है
तो शिवत्व स्वयं में कल्याणकारक क्षमता जाग्रत करना है
शिव का तात्पर्य निष्पक्षता
शिवत्व स्वयं में निष्पक्षता का भाव उत्पन्न कर लेना है
जिसकी निष्पक्षता संदिगध हो जाए
उसके किसी को भी न्याय की आस नहीं रहती
इसलिए न्याय कार्य शिवत्व धारण करके ही किया जा सकता है
शिवत्व का अर्थ प्रकृति के समीप हो जाना है
कृत्रिमता के आवरण से दूर स्वाभाविकता में जी लेना ही शिवत्व है
साधनो के अधीन नहीं साध्य के अधीन हो जाना शिवत्व है
विपरीत प्रकृति के जीवो के मध्य रहकर भी
ध्येय के प्रति एकाग्रता का भाव शिवत्व कहलाता है
शिवत्व में शिव तत्व विद्यमान है
शिव साकार स्वरूप है
तो शिवत्व निराकार भाव है
शिवत्व को जिसने धारण किया
उसने शिव स्वरूप को आत्मा में समाहित कर लिया है
शिव पूजा आसान है
शिवत्व धारण करना कठिन है
शिव कल्याण कारी है
तो शिवत्व स्वयं में कल्याणकारक क्षमता जाग्रत करना है
शिव का तात्पर्य निष्पक्षता
शिवत्व स्वयं में निष्पक्षता का भाव उत्पन्न कर लेना है
जिसकी निष्पक्षता संदिगध हो जाए
उसके किसी को भी न्याय की आस नहीं रहती
इसलिए न्याय कार्य शिवत्व धारण करके ही किया जा सकता है
शिवत्व का अर्थ प्रकृति के समीप हो जाना है
कृत्रिमता के आवरण से दूर स्वाभाविकता में जी लेना ही शिवत्व है
साधनो के अधीन नहीं साध्य के अधीन हो जाना शिवत्व है
विपरीत प्रकृति के जीवो के मध्य रहकर भी
ध्येय के प्रति एकाग्रता का भाव शिवत्व कहलाता है