Total Pageviews

Wednesday, April 30, 2014

अनुभवी बूढी आँखे कुछ कहती है

अनुभव  जीवन जीने की किताब है 
प्रत्येक  अनुभूति अनुभव  की किताब का एक पन्ना है 
अनुभूतियो  को ह्रदय कि गहराईयो तक समेटना है 
नित नए अनुभवों के सहारे चलना है  
जीवन  मे निरन्तर आगे बढ्ना है
अनुभव से जीवन मे कुछ सीखो उसे जानो 
परायो मे अपनापन ढूंढो 
अपनो मे छिपे परायेपन को पहचानो 
अनुभव  एक अच्छा मित्र है रिश्तेदार है 
अनुभव होते खट्टे, मीठे, कड़वे होते मजेदार है 
जिसके पास भी  होता अनुभव का खजाना है 
उसने उमर यूँ  ही  नही गुजारी है
जमाने को समझा  है  जीवन को भली भाँती जाना है 
बुढ़ापा अनुभव की एक खुली किताब है 
बुढ़ापे के पास अनगिनत है स्मृतिया
 सबक बेहिसाब है 
इसलिए जहा भी बूढ़े व्यक्ति को देखो 
अनुभवो का विस्तार ही जानो 
अनुभवी  बूढी  आँखे कुछ कहती  है 
अनुभवी बूढी काकी दादी अम्माँ 
बड़बड़ाते हुये कुछ-कुछ कहती है 
फिर चुप- चुप रहती है
अनुभव से जुड़े हमारे दादा परदादा है 

अनुभव के पीछे  छुपा  एक ठोस वादा है 
सपनो को पाने की ललक है सच्चा ईरादा है 
http://www.pxleyes.com/images/contests/dragan-effect/fullsize/Old-Lady-Face-4de9a7049b7f3_hires.jpg


 

Thursday, April 24, 2014

मकान मालिक बनने का सुख

व्यक्ति कितना ही बड़ा हो यदि वह किराए के मकान में रहता हो तो 
दुनिया के लिए वह कितना ही सम्मानीय हो।  मकान मालिक के लिए वह सिर्फ किरायेदार है । मानो वह मकान का मालिक ही नहीं किराए दार के जीवन का भी मालिक है।  एक अच्छा किरायेदार वह है जो मकान मालिक के चहरे के भावो को देखकर अनुमान लगा ले की मकान मालिक चाहता क्या है।  मकान खाली कराना चाहता है या किराया बढ़ाना चाहता है
                  मकान मालिक कई प्रकार के होते है परन्तु सबसे आदर्श मकान मालिक वह है जो उस मकान में नहीं रहता हो जिसमे मकान किराए से लेना हो कुछ मकान मालिक अविवाहित व्यक्तियों को किराए से देना पसंद करते है तो कुछ मकान मालिक शादीशुदा जोड़ो को मकान किराए से देने में प्राथमिकता देते है अविवाहित छात्रों को मकान किराए से देने पीछे मकान मालिक का आशय यह रहता है की किराया पूरा लेने के बावजूद मकान से जुडी बुनियादी सुविधाओ का किरायेदार कम से कम दोहन करे परिवार वालो को मकान किराए से देना वे मकान मालिक पसंद करते है जिनके मकान में बड़े -बड़े गलियारे और खुले  स्थान होते है जिनकी साफ़ सफाई करना अत्यंत कठिन और परिश्रम का कार्य होता है परिवार वालो को किराए से देने से वे आसानी से किराएदार के परिवार की महिलाओ से उक्त कार्य करवा सकने में समर्थ होते है
                             कुछ मकान मालिक मकान का निर्माण ही किराए से देने के प्रयोजन से करा लेते है ऐसे मकान मालिक के एक नहीं अनेक किराए दार होते है अनेक किराएदारो के बीच रहते रहते उन्हें ऐसा लगता है मानो वे किसी रियासत के राजा हो इसलिए वे अपनी प्रजा का समय -समय पर निरिक्षण करते रहते है किराएदारो  की छोटी मोटी गतिविधियों पर उनकी गिध्द दृष्टि रहती ऐसा लगता की किरायेदार का एक मात्र यही अपराध है की उनके पास स्वयं का कोई मकान नहीं है और वे किसी मकान मालिक के किराए दार है इसलिए उनकी निजता बनाये रखने का तरीका नहीं होता हैइसलिए हे किराए दार बंधुओ मकान मालिक के चयन में अत्यंत सावधान रहो समस्या तब खड़ी होती है जब मकान मालिक के आजीविका का अन्य कोई साधन न हो तब तो महीना पूरा होने के पहले ही मकान मालिक किराए दारो की चौखट पर किराए हेतु आकर खड़ा हो जाता है इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ मकान मालिक मकान किराए से देने से पहले एक माह का किराया एडवांस के रूप में जमा करा लेते है इसलिए जीवन में कुछ बन पाओ या न बन पाओ एक बार जीवन में मकान मालिक बनने का सुख जरूर प्राप्त करो

Sunday, April 20, 2014

इसलिए जीवन में लक्ष्य आवश्यक है

कहा जाना है? किधर जाना है?
 कैसे जाना है?   
सफर में कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होगी 
कितनी ऊर्जा कब बचाई जा सकती है 
 यह  मालुम हो तो
 राहे सुगम और सफर आसान हो जाता है । 
पता  ही नहीं चलता 
और रास्ता कब कट जाता है
 सफर में थकान नहीं होती 
थकान के स्थान पर 
अद्भुत ऊर्जा का आभास होने लगता है
 तन मन में जोश और उल्लास छा जाता है
 जब पता ही नहीं हो कि 
मंजिल कहा है किधर है
 रास्ते अज्ञात हो तो थोड़ी सी दूरी भी 
बहुत अधिक लगने लगती है
सफर शुरू हो उसके पहले ही 
साँसे फूलने लगती  है
संकल्प निर्बल होने से 
पल पल भारी सा प्रतीत होने लगता है
लक्ष्य सुनिश्चित हो तो 
 संकल्प को बल मिलता है
पल पल प्रतिपल प्रेरणा मिलती रहती है
सफर में कब रुकना है कितना रुकना है
कब चलना है कितनी गति से पहुचना है 
यह पूर्व निर्धारित होने से 
सफर एक यंत्रणा न होकर उत्सव लगने लगता है
 इसलिए जीवन में लक्ष्य आवश्यक है

Tuesday, April 15, 2014

हनुमान जी वायु तत्व के प्रतिनिधि क्यों है ?

 हनुमान जी को वायु तत्व का प्रतिनिधि माना जाता है 
परन्तु प्रश्न यह उठता है 
हनुमान जी वायु तत्त्व के प्रतिनिधि क्यों है ?
वायु की विशेषता होती है की वह निरंतर गतिशील रहती है 
हनुमान जी भी निरंतर सक्रीय और गतिशील रहते है 
जहा उन्हें अथवा उनके प्रभु श्रीराम को याद किया जाता है 
वहा के वातावरण में उनकी उपस्थिति का अनुभव किया जा सकता है
वायु तत्त्व की विशेषता रहती है की 
उसकी गति की दिशा को समझ कर मौसम का 
अनुमान लगाया जा सकता है 
वायु की गति की दिशा के  की गई मौसम की 
भविष्य वाणी सटीक बैठती है 
हनुमान जी भी वक्त से पहले परिस्थितियों का आंकलन कर लेते है 
उनके सारे अनुमान सटीक बैठते थे 
वायु की विशेषता होती है की
 उसका कितना भी भार हो भार का अनुभव नहीं होता 
हनुमान जी ने सदा दीन -दुखियो सज्जनो की सहायता ही की है 
कभी भी किसी पर भार नहीं बने
 उन्होंने सदा दायित्व के भार को उठाया ही है 
समाज में ऐसे बहुत से व्यक्ति देखे जा सकते है 
जो दूसरे पर भार बन कर रहते है 
यदि हमें हनुमान जी को ईष्ट बनाना है तो 
हमें दूसरो पर भार नहीं बनना  चाहिए 
वायु की विशेषता होती है की 
वह ध्वनि संचरण का  माध्यम होती है 
अंतरिक्ष जहा वायु नहीं होती 
वहा लोग आपस में संवाद नहीं कर पाते 
रामायण में हनुमान जी ने श्रीराम का सन्देश 
सीता के पास पहुंचा कर संवाद स्थापित करवाया था 
संवाद हीनता सदा हानिकारक होती है 
विवाद कितना भी उग्र रूप धारण कर ले 
संवाद के सेतु कभी टूटना नहीं चाहिए 
संवाद सुलह की एक कड़ी होते है 
पृथ्वी के आस पास मौजूद वायु तत्व
 जिसे हम ओजोन मंडल कहते है 
वह हमारी अंतरिक्ष से आने वाली सूर्य की 
हानिकारक किरणों से रक्षा करती है 
यह वायु तत्त्व की विशेषता है
 हनुमान जी भी सज्जनो का सरंक्षण करते है 
सुग्रीव उनके भ्राता बाली की अपेक्षा कितने ही कमजोर थे 
पर हनुमान जी ने सुग्रीव का ही साथ दिया था 
यदि हम हनुमान जी को अपना ईष्ट मानते है 
तो हमें भी दुर्बल और कमजोर व्यक्तियों की सहायता करनी चाहिए 
सरंक्षण  करना चाहिए 
 अंतिम रूप से वायु की विशेषता होती है 
उसमे अतुलित बल होता है 
वायु जब तूफ़ान का रूप धारण करती  है 
तो समुद्र में चक्रवात और तूफ़ान पैदा कर सकती है 
धरती पर विशाल शीला खंडो को चकना चूर कर देती है 
नदियों को रास्ता बदलने पर मजबूर कर देती है 
परन्तु वही  वायु  जब अनुशासित होती है तो 
पवन ऊर्जा कई घरो को रोशनी देती है 
संयंत्रों में तरह तरह के उत्पादों का निर्माण कर देती है 
वायु के अनुशासित वेग से नौकाएं सही दिशा में 
गति पाकर मंजिल पा लेती है 
हनुमान इसलिए पवन पुत्र कहलाते है 
क्योकि उनमे अतुलित बल है 
वे अतुलित बल से आकाश में उड़ सकते है 
अनुशासित होकर राम सेतु बना लेते है 
परन्तु जब उन्हें लगता है उनकी सज्जनता का 
हास्य बनाया जा रहा है तो वे भीषण तांडव भी मचा सकते है

Saturday, April 12, 2014

महाभारत युध्द के पूर्व कौरव और पांडव दोनों पक्ष युध्द में सहायता हेतु
 विश्व में समस्त राजाओ से सम्पर्क कर रहे थे इसी क्रम में भगवान कृष्ण के समक्ष सहायता हेतु दुर्योधन और अर्जुन एक साथ पहुंचे तब भगवान कृष्ण शयन कर रहे थे दुर्योधन जो अभिमानी था वह भगवान श्री कृष्ण के माथे के सिरहाने बैठ गया और अर्जुन जो भक्त ह्रदय था वह भगवान कृष्ण के चरणो की और बैठ गया अर्जुन का शरीर का तनिक स्पर्श भगवान श्रीकृष्ण के चरणो को होने पर भगवान कृष्ण की नींद खुली स्वाभाविक है की उनकी दृष्टि चरणो में बैठे अर्जुन पर पड़ी विवाद उत्पन्न होने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा की उन्होंने चुकी अर्जुन को पहले देखा इसलिए पहले अर्जुन को सहायता माँगने का अधिकार है सभी जानते है अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण को अपने पक्ष में शामिल होने के लिए कहा और दुर्योधन ने यदुवंश को सेना का चयन किया विजय उसी पक्ष की हुई जिस और भगवान श्रीकृष्ण थे महाभारत का यह  प्रसंग  बताता हैसोये हुए व्यक्ति की और चरणो की और से सम्मुख होना चाहिए व्यक्ति के चरण के अंगुष्ठ से मस्तिष्क का गहरा सम्बन्ध होता है चरणो के अंगुष्ठ को दबाने पर सोया हुआ व्यक्ति जाग्रत हो जाता है और जागने पर प्रसन्न चित्त होकर आवश्यक सहयोग प्रदान कर सकता है इसके विपरीत मस्तक की और सम्मुख होने पर सोया हुआ व्यक्ति जागने पर कुपित हो जाता है जिसके वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते है

Wednesday, April 9, 2014

चुनाव के आयाम

लोगो का कहना है कि चुनाव महंगाई बढ़ाते है 
परन्तु सच यह है कि चुनाव रोजगार उपलब्ध कराते है 
चुनावी पोस्टर हेतु उपयोगी सामग्री के निर्माण से लगाकर
 प्रकाशन में कितने लोग लाभान्वित  हो जाते है 
यदि गणना कि जाए आश्चर्यजनक आंकड़े सामने आ जायेगे
 चुनाव प्रचार से बंद होने कि स्थिति में पड़ी हवाई 
जहाज कि कम्पनियो को संजीवनी प्राप्त हो जाती है 
नेताओ के तूफानी दौरे जो हो रहे है 
चुनाव किसी भी दृष्टि से अनुपयोगी नहीं है
 चाहे कोई सी भी पार्टी हारे या जीते
 वास्तव में जीत तो उन कार्यकर्ताओ,नेताओ  कि होती है 
जो आलस्य वश अधिक मोटे हो चुके है 
या मोटापा के कारण बीमार हो गए हो 
चुनाव कि घोषणा होते ही 
वे बिना दवाई के ही स्वस्थ हो जाते है
 और जन सम्पर्क हेतु आयोजित कि जाने वाली 
रैलियो में अदम्य साहस का परिचय देते हुए 
मीलो पद यात्राये कब पूरी कर लेते है
 और कब उनका आशातीत वजन कम हो जाता है
 पता ही नहीं चलता
 चुनाव उन समाचार चैनलो के लिए सामग्री लेकर आता है
 जो नयी -नयी और सन -सनी खेज सामग्री के लिए तरसते रहते है ऐसे अभिनेता -अभिनेत्रियों के लिए एक अवसर है
 चुनाव जिनका कैरियर समाप्त हो चुका हो
 या समाप्त होने कि अवस्था में हो
 ऐसा लगता है उनकी फिल्मोद्योग से
 सम्मान पूर्ण विदाई का उत्तम  माध्यम है 
इसलिए जो लोग यह कहते है
 चुनाव निरर्थक वे गलत है चुनाव के कई आयाम है
चुनाव का एक अलग अर्थ शास्त्र है 
ढीले और राजनैतिक हस्त क्षेप से मुक्त होने कि 
एक आवश्यक  प्रशासनिक शल्य क्रिया है  

कंस और श्रीकृष्ण

कंस जो भगवान् कृष्ण का मामा था
 क्या इतना क्रूर व्यक्ति था ?
क्या भगवान् कृष्ण के जन्म का एकमात्र उद्देश्य
 कंस का वध करना ही था ?
उक्त प्रश्नो के उत्तर सामान्य नहीं है 
वास्तव में देखा जाय तो कंस भले ही अच्छा शासक नहीं था 
परन्तु इतना अधिक क्रूर नहीं था कि 
अकारण अपनी सगी बहन को कारावास में डाल दे 
आकाशवाणी होने के पूर्व
 कंस उसकी बहन देवकी का आदर्श भ्राता था
 देवकी और वसुदेव का विवाह अत्यंत भव्य तरीके से
 कंस ने सम्पन्न कराया था 
कंस अपनी बहन देवकी से अत्यधिक  स्नेह रखता था 
विवाह के पश्चात जैसे ही आकाशवाणी से
 कंस को अवगत कराया गया कि
 देवकी का अष्टम पुत्र  उसका वध कर देगा 
कंस का ह्रदय परिवर्तन हो गया 
उसका बहन के प्रति स्नेह घृणा में परिवर्तित हो गया 
यही से उसकी क्रूरता प्रारम्भ हुई कंस कि यह मानसिकता 
 सामान्य मानव स्वभाव है कौन व्यक्ति चाहेगा कि
 उसका सबसे घनिष्ठ व्यक्ति ही उसका वध कर दे  
भगवान् कृष्ण के अवतार का उद्देश्य भी 
यदि कंस वध तक सीमित होता तो वे 
सत्य पर असत्य  की विजय यात्रा को 
कंस के वध के पश्चात आगे नहीं बढ़ाते 
मथुरा के राज्य के राजा बन कर सीमित अर्थो में 
अपनी उपयोगिता प्रमाणित करते 
परन्तु श्रीकृष्ण के अवतार का उद्देश्य कंस  ही नहीं 
अपितु समस्त  धरा पर कंस के सामान 
 कुशासन से जनता को मुक्ति दिलवाना था
समय -समय पर यह कार्य अनेक युग पुरुषो ने किया है
 चाहे वे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन हो या 
दक्षिण अफ्रिका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला 
 महापुरुष कभी निज उद्देश्य के लिए संघर्ष नहीं करते 
भले उनका संघर्ष  व्यक्तिगत स्तर पर शुरू हुआ हो 
परन्तु वह जनोन्मुख होकर सर्वजन हिताय हो जाता है 

Sunday, April 6, 2014

जीवन और सम्मान

जीवन में सम्मान का बहुत महत्व है यह उतना ही आवश्यक है जितना की सासं लेना सम्मान विहीन जीवन आत्मा बिना शरीर की भाती है, यह धन से भी अधिक मूल्यवान है धन से व्यक्ति लोगों को खरीद सकता है पर अपने लिए उनके मन में सम्मान का भाव नहीं खरीद सकता।
इसीलिए सम्मान खरीद की विषयवस्तु नहीं है, यह तो सामने वाले के मन में किसी के लिए स्वतः ही अंकुरित होने वाला भाव है। इसका कारण कुछ भी हो सकता है आपका स्वभाव, कार्य, आचरण, जीवन व्यक्तित्व आदि।

परंतु कुछ व्यक्ति सब प्रकार से सम्मान के अधिकारी होने पर भी किन्हीं कारणों से उससे वंचित रह जाते हैं, वे जीवन में बहूत संघर्ष कर के अपने को इस योग्य बनाते हैं कि अन्य लोग उन्हें आदर देते हैं पर अपने ही घर में उन्हें आदर नहीं मिल पाता।
कारण ? यह बता पाना मुश्किल है,
पर यह दुर्भाग्यपुर्ण है।


Tuesday, April 1, 2014

मूर्ख दिवस का महत्व

 जो व्यक्ति दूसरो को मुर्ख और स्व यम को 
 सबसे अधिक समझदार समझता है
 वह सबसे अधिक मुर्ख होता है 
व्यक्ति मूर्खता तब करता है 
जब दूसरो  का अल्प मूल्यांकन 
और स्व यम का अतिरिक्त मूल्यांकन करता है 
मुर्ख दिखने और मुर्ख होने में अंतर होता है 
कुछ लोग मुर्ख होने के बावजूद
 स्व यम को समझदार दिखाने का प्रयास करते है 
जान बूझ कर समझदार व्यक्ति मूर्खता का आवरण ओढ़कर
 कथित समझदार जो वास्तव में मुर्ख होते है
 उनसे मनचाहा काम करवा लेते है लाभ उठा लेते है 
वानर रूप मूर्खता का प्रतीक है
 समझदार होने के बावजूद वीर हनुमान ने 
मूर्खता का आवरण ओढ़ा 
  हम जानते है कि उन्होंने कितना लाभ उठाया  
मुर्ख  दिखना  गलत बात नहीं है
 भीतर से मुर्ख होना गलत बात है 
१अप्रेल का दिवस जान बूझ कर मूर्ख  बनने का दिवस है
 कथित समझदारो जो वास्तव में मुर्ख है
 कि मूर्खता सामने लाने का दिवस है
 दुर्जनो को यह जताने का दिवस है
 कि हम सज्ज्न है पर मुर्ख नहीं
 सज्जनता हमारा गुण है कमजोरी नहीं