मिट्टी से प्रतिमा है बनती मिटटी से बनता है घर
मिटटी में ही मिल जाएगा अहंकार अब तू न कर
मिट्टी में है तेरा बचपन मिटटी पर है तू निर्भर
मिटटी में भगवान् रहे है मिटटी में रहते शंकर
मिट्टी से माता की मूर्ति मिट्टी से लम्बोदर
मिटटी खाए कृष्ण कन्हैया मिटटी को हांके हलधर
कही छाँव है कही है धुप माटी का है उजला रूप
माटी के भीतर है ऊर्जा माटी से तू अब न डर
मिटटी में ही मिल जाएगा अहंकार अब तू न कर
मिट्टी में है तेरा बचपन मिटटी पर है तू निर्भर
मिटटी में भगवान् रहे है मिटटी में रहते शंकर
मिट्टी से माता की मूर्ति मिट्टी से लम्बोदर
मिटटी खाए कृष्ण कन्हैया मिटटी को हांके हलधर
कही छाँव है कही है धुप माटी का है उजला रूप
माटी के भीतर है ऊर्जा माटी से तू अब न डर