पूजा का मार्ग श्रेष्ठ है या महापुरुषों के अनुसरण का
मार्ग मंदिर हो या गुरुद्वारा हो
या गिरजा घर या हो कोई स्तूप स्तम्भ
महापुरुषों की चोराहो पर विराजित प्रतिमा
हम देवी देवता दिगंबर पैगम्बर तिर्थंकरो की पूजा करते है
परन्तु हम उनकी पूजा क्यों करते है
कोई कहता है आत्मा की शान्ति के लिए
तो कोई कहता है लोक कल्याण और विश्व शान्ति के लिए
कोई तर्क देता ईष्ट से हमें आशीष प्राप्त होता है
मनोकामनाये पूर्ण होती है
पर सच्छाई यह है की पूजा का मार्ग सरल है
अनुसरण का मार्ग कठिन है
कुछ लोग धर्म स्थलों पर इसलिए जाते है
ताकि दूसरे लोग उन्हें धार्मिक समझे
धर्म के आवरण में उनके व्यक्तित्व के नकारात्मक पहलू
उजागर न हो छुपे रहे
जो व्यक्ति पूजा के मार्ग को अधिक महत्त्व देते है
वे व्यक्ति विशेष ,सम्प्रदाय विशेष को महत्व देते है
वास्तव में वे साम्प्रदायिक होते है
अपने भीतर के आत्मविश्वास के अभाव में
सदा तरह तरह के गुरुओ की तलाश में लगे रहते है
कर्म की आराधक तो देवताओं प्रतीकों से प्रेरणा पाते है
कर्म की आराधक तो देवताओं प्रतीकों से प्रेरणा पाते है
महापुरुषों द्वारा स्थापित आदशो का अनुसरण करते ऊर्जा पाते है