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Saturday, September 7, 2013

पूजा या अनुसरण

पूजा का मार्ग श्रेष्ठ है या महापुरुषों के अनुसरण का
 मार्ग मंदिर हो या गुरुद्वारा हो 
या गिरजा घर या हो कोई स्तूप स्तम्भ 
महापुरुषों की चोराहो पर विराजित  प्रतिमा
 हम देवी देवता दिगंबर पैगम्बर तिर्थंकरो की पूजा करते है 
परन्तु हम उनकी पूजा क्यों करते है 
कोई कहता है आत्मा की शान्ति के लिए
 तो कोई कहता है लोक कल्याण और विश्व शान्ति के लिए
 कोई तर्क देता ईष्ट से हमें आशीष प्राप्त होता है 
मनोकामनाये पूर्ण होती है
 पर सच्छाई यह है की पूजा का मार्ग सरल है 
अनुसरण का मार्ग कठिन है 
कुछ लोग धर्म स्थलों  पर इसलिए जाते है 
 ताकि दूसरे लोग उन्हें धार्मिक समझे 
धर्म के आवरण में उनके व्यक्तित्व के नकारात्मक पहलू 
उजागर न हो छुपे रहे
जो व्यक्ति पूजा के मार्ग को अधिक महत्त्व देते है
 वे व्यक्ति विशेष ,सम्प्रदाय विशेष को  महत्व  देते है 
वास्तव में वे साम्प्रदायिक होते है 
अपने भीतर के  आत्मविश्वास के अभाव में 
सदा तरह तरह के गुरुओ की तलाश में लगे रहते  है
कर्म की आराधक
तो देवताओं प्रतीकों से प्रेरणा पाते है 
महापुरुषों द्वारा स्थापित आदशो का अनुसरण करते ऊर्जा पाते है