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Tuesday, March 26, 2013

होली और होलिका

होली और दशहरे में एक समानता है 
होली पर होलिका का दहन होता है 
दशहरे पर रावण का दहन होता है 
दोनों ही बुराईयों के प्रतीक थे 
परन्तु होलिका स्त्री थी रावण पुरुष था 
रावण अहंकार का प्रतीक था 
तो होलिका ईर्ष्या की प्रतीक थी 
ईर्ष्या में व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का नुकसान करने के दुराग्रह में 
स्वयं का को भी मिटा सकता है 
होलिका इस तथ्य को चरितार्थ करती  है 
रावण का पुरुष होना होलिका का महिला होना 
बुराईयों के बारे में यह  तथ्य दर्शाती  है कि 
वे कही भी किसी भी रूप में  हो सकती है 
उनका विनाश होना यह दर्शाता है की 
चाहे उन्हें कितनी  भी वरदानी  शक्तिया को मिल जाए 
चाहे  वे सज्जन शक्ति रूपी प्रहलाद से 
 क्यों न स्वयं को आवृत्त कर ले ?
 उन्हें नष्ट होने से कोई भी बचा नहीं सकता  
प्रहलाद कौन है प्रहलाद मन आल्हाद है मन की वह खुशी है
जो सकारात्मक मानसिकता को प्रकट करती  है 
प्रसन्न वही व्यक्ति है जिसकी मानसिकता स्वस्थ है 
जो परोपकार में विश्वास  रखता है 
प्रहलाद बनने के लिए व्यक्ति का सर्वप्रथम स्वयं में
 विश्वास  होना चाहिए  
तद्पश्चात उसे विष्णु भगवान अर्थात 
विश्व के प्रत्येक अणु  व्याप्त परम तत्व एवं अपने ईष्ट पर
 विश्वास होना चाहिए 
नहीं तो आत्म विश्वास विहीन   एवं ईष्ट एवं ईश से विमुख
व्यक्ति सदा संदेहों से घिरा रहता है 
संदेहों से घिरे व्यक्ति के बारे में भगवान  कृष्ण ने कहा है 
संशयात्मा विनश्यति