किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का अत्यधिक महत्व होता है
व्यक्ति की बौध्दिक क्षमता उसके द्वारा ग्रहण की गई
शिक्षा पर निर्भर करती है
व्यक्ति कितनी भी आयु और अनुभव प्राप्त कर ले
उसके द्वारा शिक्षा के प्रति की गई उपेक्षा तकलीफ देह होती है
व्यक्ति का प्रत्येक वस्तु व्यक्ति विषय को समझने नजरिया
परिस्थितियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
परिस्थितियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण
उसके शैक्षणिक योग्यता को परिलक्षित करता है
जो लोग यह सोचते है की शिक्षा मात्र रोजगार पाने का साधन है
भारी त्रुटी करते है
अल्प शिक्षित व्यक्ति कभी भी उच्च स्तर के विचारों का
सृजन नहीं कर सकता
शिक्षा पाने के ओपचारिक और अनौपचारिक तरीके हो सकते है
ज्ञान का उच्च स्तर ओपचारिक शिक्षा का मोहताज नहीं होता
कला कौशल साहित्य संगीत में निपुणता
अनौपचारिक शिक्षा से अत्यंत कारगर तरीके पाए जा सकते है
अनौपचारिक शिक्षा में भले व्यक्ति को कोई
उपाधि प्राप्त न हो
उपाधि प्राप्त न हो
परन्तु अध्ययन में समर्पण और रूचि होने के कारण व्यक्ति में
काल्पनिकता और आविष्कार प्रवृत्ति का उद्भव होता है
अशिक्षित या अल्प शिक्षित व्यक्ति अपने
निम्न कोटि के सोच के फलस्वरूप
एक स्तर के ऊपर सोच ही नहीं सकता
निम्न कोटि के सोच के फलस्वरूप
एक स्तर के ऊपर सोच ही नहीं सकता
अनौपचारिक शिक्षा के का कारण
जो सद्गुरुओ के सान्निध्य में रह कर
जो सद्गुरुओ के सान्निध्य में रह कर
तुलसी सूर कबीर मीरा ने वो साहित्य रचा
जो केवल पाण्डित्य पूर्ण ज्ञान से प्राप्त नहीं हो सकता