Total Pageviews

Thursday, July 4, 2013

विश्वास और आत्म विश्वास

दूसरो  को धोखा देने पर व्यक्ति विश्वास  खोता है 
खुद को धोखा देने पर व्यक्ति आत्म विश्वास  खोता है
 विश्वास  खोने पर व्यक्ति की समाज और परिवेश में 
विश्वसनीयता समाप्त हो  जाती है 
विश्वास  हो या आत्मविश्वास हो दोनों के खोने पर 
व्यक्ति का कोई मुल्य नहीं रह  जाता 
 आदमी कौड़ी भर का ही रह पाता  है 
आत्मविश्वास खोने पर व्यक्ति की अपनी 
स्वाभाविक क्षमता समाप्त हो जाती है 
व्यक्ति कई प्रकार की आशंकाओं से घिर जाता है 
आशंकाओं से घिरा हुआ व्यक्ति विनाश की ओर 
 अग्रसर होता जाता है 
इसलिए स्वयं की सामर्थ्य जगाने का उपाय यही है  
कि आत्म विश्वास से भर पूर रहो 
आत्मविश्वास संस्कार चरित्र  परिश्रम  
और ईश्वरीय उपासना से जाग्रत होता है 
सत  गुणों के जीवन में प्रवेश करने से 
व्यक्ति किसी व्यक्ति को धोखा नहीं 
देता है जहा भी वह रहता जिस ओर  भी वह जाता है 
विश्वास का भाव जगाता विश्वास बोता है 
विश्वास ही कमाता  है 
ऐसे विश्वास के सोपान के सहारे 
व्यक्ति लक्ष्य की ऊँचाइयों  की और जाता है 
वह जो चाहता  है वह पाता  है