एक बहुत प्रचलित कहावत है
दूसरे के कंधे पर बन्दुक रखकर चलाना
अर्थात दूसरे व्यक्ति को अपने हित के लिए
इस्तेमाल करते हुए उस व्यक्ति से
किसी तीसरे व्यक्ति को क्षति कारित करना
यह एक अत्यंत प्राचीन कला है
जिसे कूटनीति के रूप में
राजा महाराजाओं द्वारा समय समय पर
इसका प्राचीनकाल में इस्तेमाल किया जाता रहा है
वर्तमान में इस कला का इतना व्यापक प्रचार प्रसार हो गया है कि
बड़े बड़े राज नेताओं से लगाकर छुटभैये नेता तक
इसका उपयोग करने में लगे हुए है
यहाँ तक कि हर व्यक्ति बन्दुक चलाने के लिए
दूसरे के कंधे का ढूँढने में लगा हुआ है
इस कला का उपयोग अक्सर उन लोगो द्वारा किया जाता है
जो स्वयं किसी प्रकार कि बुराई नहीं लेना चाहते
जो स्वयं किसी प्रकार कि बुराई नहीं लेना चाहते
परन्तु अपने स्वार्थ के लिए दूसरो को बुरा बनाना चाहते है
समाज में ऐसे लोगो को स्वयं को बन्धु कहलाने का
समाज में ऐसे लोगो को स्वयं को बन्धु कहलाने का
ज्यादा शौक होता है
विश्व
बंधुत्व का सन्देश देते हुए
ऐसे लोग बंधुत्व कि भावना का प्रचार का आभास
भी देते रहते है
बन्दुक तो प्रतीक है
बन्दुक का आशय किसी प्रकार का आग्नेय अस्त्र नहीं है
बन्दुक कि गोली से अधिक मारक क्षमता तो
जिव्ह्वा कि बोली में होती है
इसलिए जब कोई कहे कि उस व्यक्ति द्वारा
दुसरे के कंधे पर बन्दुक रख दी गई है
तब यह समझना उचित होगा है
अपने हित या दूसरे के हित को क्षति कारित करने
का वक्तव्य उसने स्वयं न देकर
किसी अन्य व्यक्ति से दिलवाया है
इस कला का लाभ यह है कि
सम्बंधित व्यक्ति को सन्देश भी पहुँच जाय
सन्देश कि तीक्ष्णता भले ही
पीड़ित व्यक्ति को कितना भी घायल कर दे
उसे अहसास भी नहीं हो पाता है
कि वास्तव में सन्देश या दुराशय किसका है
इस कला का यह पक्ष यह भी है कि
पीड़ित पक्ष में वह व्यक्ति भी शामिल होता
जिसके कंधे पर बन्दुक रखकर चलाई गई है
बन्दुक तो प्रतीक है
बन्दुक का आशय किसी प्रकार का आग्नेय अस्त्र नहीं है
बन्दुक कि गोली से अधिक मारक क्षमता तो
जिव्ह्वा कि बोली में होती है
इसलिए जब कोई कहे कि उस व्यक्ति द्वारा
दुसरे के कंधे पर बन्दुक रख दी गई है
तब यह समझना उचित होगा है
अपने हित या दूसरे के हित को क्षति कारित करने
का वक्तव्य उसने स्वयं न देकर
किसी अन्य व्यक्ति से दिलवाया है
इस कला का लाभ यह है कि
सम्बंधित व्यक्ति को सन्देश भी पहुँच जाय
सन्देश कि तीक्ष्णता भले ही
पीड़ित व्यक्ति को कितना भी घायल कर दे
उसे अहसास भी नहीं हो पाता है
कि वास्तव में सन्देश या दुराशय किसका है
इस कला का यह पक्ष यह भी है कि
पीड़ित पक्ष में वह व्यक्ति भी शामिल होता
जिसके कंधे पर बन्दुक रखकर चलाई गई है