सविता और रतन के जो मोहल्ले में
एक माह पूर्व ही किराए से रहने आये थे
दोनों में आज काफी कहा सुनी हो गई थी
दोनों में हाथा पाई हो जाने से लहू -लुहान हो गए थे
मोहल्ले के सारे लोग इकठ्ठे हो गए थे
सविता बोली "मै अपने पति और बच्चो को छोड़ कर
माता -पिता सारे सम्बन्धो को भूल कर
रतन तेरे साथ प्रेम के पाश में बंध चली आई"
और तू एक माह के भीतर ही आपा खो बैठा
यह सुन कर मोहल्ले के सारे लोग स्तब्ध रह गए
की वे जिस जोड़े को मोहल्ले का आदर्श परिवार मानते रहे
वे नैतिक और चारित्रिक दृष्टि से पारिवारिक जिम्मेदारियों से
भागे हुए महिला पुरुष है
जिनके बीच दैहिक तृष्णा के अतिरिक्त
कोई रिश्ते का सेतु नहीं था जब ऐसी तृष्णा तृप्त हो जाती है
तो एक माह के भीतर ही
उनके रिश्तो की असलियत सामने आ जाती है