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Friday, February 26, 2016

परीक्षा का दौर

वर्तमान में शैक्षणिक  परीक्षाओ का दौर चल रहा है
छात्र तनावग्रस्त होकर परिश्रमरत है
कुछ छात्र जो वर्षभर से सतत अध्ययनरत है
वे इस बात को लेकर चिंता में है कि 
क्या वे आखिरी समय में अपनी मेहनत को प्रश्नपत्र पर उतार पायेगे या नहीं
कुछ छात्र जो वर्ष भर अध्ययन नहीं कर पाये है 
वे अवसादग्रस्त है असफल होने के भय से वे  पलायनवादी मानसिकता के शिकार हो रहे है  
परीक्षा के समय परीक्षार्थियों के लिए भगवान कृष्ण की अर्जुन के लिए बोली गई गीता की वह उक्ति महत्वपूर्ण है जिसमे वे कहते है" न दैन्यं न पलायनम "
शैक्षणिक परीक्षाओ के अतिरिक्त जीवन में अनेक प्रकार की परीक्षाये व्यक्ति को देनी होती है 
कभी परिस्थितिया व्यक्ति की परीक्षा लेती है 
तो कभी अपने परायो का व्यवहार
 व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेता है 
बीमार व्यक्ति की परीक्षा की परीक्षा टूटता हुआ बदन 
होता हुआ दर्द परीक्षा लेता है 
आर्थिक अभाव में कटती हुई जिंदगी 
प्रतिभा और ईमान की परीक्षा लेती  है 
परीक्षा एक कसौटी है जो व्यक्ति को 
उसकी क्षमता से परिचित कराती है 
परीक्षा व्यक्ति को स्वयं की प्रतिभा बारे में
 रची गई भ्रांतिया को दूर करती है 
परीक्षा यह बताती है कि 
 हमारे प्रयासों में कहा कमी रही है 
जीवन में प्रतिपल हमें अनेकानेक 
छोटी छोटी परीक्षाओ से गुजरना होता है 
कुछ विद्यालयों में तो जितनी  पढ़ाई नहीं होती 
उससे अधिक परीक्षाये और टेस्ट होते है 
ऐसा प्रतीत होता है कि  वे छात्रों को परीक्षा का भय दिखा दिखा कर अध्ययन करने को बाध्य कर रहे है 
परन्तु कृत्रिम रूप से रचा  गया यह
 परीक्षा का आतंक
 परीक्षार्थियो को कमजोर बना रहा है