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Friday, February 20, 2015

श्रीराम और श्रीकृष्ण में भेद

श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों भगवान विष्णु के अवतार थे 
श्रीराम को भगवान विष्णु के अंशावतार 
तथा श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का पूर्णावतार माना जाता है 
परन्तु दोनों में महत्वपूर्ण भेद है 
जहा श्रीराम ने जीवन भर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है  
कि वे ईश्वर नहीं एक सामान्य मानव है

 वही  श्रीकृष्ण ने यह प्रमा णित करने का प्रयास किया  
कि  वे सामान्य मनुष्य नहीं ईश्वर है 
इस हेतु उन्होंने बचपन से लगा कर कई प्रकार की लीलाये रची 
श्रीकृष्ण का ध्यान और दर्शन जहा व्यक्ति में
 आत्म विश्वास  का भाव पैदा   करता है 
जीवन में प्रेम का उद्भव  और उल्लास का भाव लाता है 
वही  श्रीराम के दर्शन से  अहंकार का नाश होता है
 ऐश्वर्य से विरक्ति हो जाती है 
अभावो में रहने का अभ्यास होता है 
जीवन की कठिन परिस्थितियों में दोनों के व्यक्तित्व 
हमारा मार्ग दर्शन करते है 
जब व्यक्ति के जीवन में अहंकार उत्पन्न हो जाए
  भोग ऐश्वर्य के प्रति आसक्ति होने लगे 
पाखण्ड और प्रदर्शन की और मन उन्मुख हो जाए 
तो श्रीराम का ध्यान दर्शन श्रेष्ठ है 
जब व्यक्ति के मन में हताशा विषाद और घृणा की 
भावना पैर जमाने लगे 
मानसिक रूप से व्यक्ति दरिद्र होने लगे 
किंकर्तव्य विमूढ़ मन स्थिति हो तो  
  श्री कृष्ण के दर्शन और ध्यान करना चाहिए