देश के प्रमुख शहरों को सजाया संवारा जा रहा है शहरों को प्रदुषण मुक्त बनाने
और स्वच्छता पूर्ण बनाने का प्रयास किया जा रहा है इस हेतु शहरों में हौड़ सी मची हुई है
परन्तु इस दिशा में किसी का ध्यान नहीं जा रहा है कि शहरों भिक्षावृत्ति के कारण
कितनी अव्यवस्था गन्दगी
और अपराधिक् गतिविधियों पनप रही है
बड़े शहरों में ही नहीं
प्रमुख तीर्थ स्थलो में भी
बदते भिखारियो की संख्या चिंताजनक है
वृध्द .अशक्त. विकलांग और विक्षिप्त .अर्धविक्षिप्त भिखारियो की फौज के बीच
युवा हृष्ट पुष्ट महिला पुरुष
भिखारियो को देख कर ऐसा लगता है
कि शासन द्वारा इन लोगो के लिए
कोई योजनाये बनाई ही नहीं गई है
या शासन द्वारा बनाई गई
योजनाये परिश्रम की प्रधानता के कारण
ये लोग भिक्षा वृत्ति कर रहे है
महत्वपूर्ण यह होगा कि
इन युवा और स्वस्थ भिखारियो की पहचान कर
इन्हें कार्य कुशल बना श्रम प्रधान रोजगार में लगा कर इन्हें आर्थिक रूप से स्वालम्बी बनाया जाए ।
इनमे जो भिखारी निकम्मे और अकर्मण्य हो
उनसे स्थानीय निकायों द्वारा
नगर के स्वच्छता के कार्यो में
उपयोग लिया जा सकता है
इसके लिए सामाजिक सांस्कृतिक
स्वयं सेवी संगठनो का सहयोग भी लिया जा सकता है
वे भिखारी जो नदियो के पावन घाटो पर
वे भिखारी जो नदियो के पावन घाटो पर
भिक्षा वृत्ति कर रहे है
उनसे सप्ताह में एक बार घाटो की
साफ़ सफाई कराई जा सकती है
इस कार्य के लिए उन्हें शासन द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक दिया जा सकता है
उपरोक् कदम से भिक्षा वृत्ति की समस्या से
बहुत हद तक मुक्ति मिल सकती है
और स्मार्ट सिटी के मुखड़े से
भिक्षा वृत्ति का कलंक मिटाया जा सकता है