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Saturday, December 3, 2016
बुरा जो देखन मैं चला
Sunday, November 6, 2016
राक्षस भगवान् विष्णु की तपस्या क्यों नहीं करते थे?
Friday, October 28, 2016
लक्ष्य
जो दृष्टि समन्न हो
वैचारिक दृष्टि से नहीं विपन्न हो
आनंद उसके लिए है
जिसके भीतर अमृत तत्व है
माँ शारदा का वाहन हंस क्यों है ?
Monday, October 17, 2016
गणित
विद्यार्थी गणित की जटिलता से
भयभीत रहते है|
परन्तु जीवन में कोई भी व्यक्ति गणित से बच नहीं सकता चाहे कला वाणिज्य या जंतु विज्ञानं हो |
व्यक्ति गणित से जितना बचने का
प्रयास करता उतना ही उलझता चला जाता है |
भूगोल में कौनसी रेखाएं कितने डिग्री से गुजराती है यह गणित की सहायता के बिना असम्भव है|
अर्थ शास्त्र में महंगाई की दर क्या है ?
मुद्रा स्फीति मुद्रा का अवमूल्यन
किस प्रकार से होता है |
इसमें भी गणित का महत्व होता है|
इतिहास में कौनसे सन में
कौनसी घटना घटित हुई
कौनसा शासक किसका समकालीन था
इस तथ्य को अंक गणित के ज्ञान से ही
समझा जा सकता है|
हिंदी भाषा में तो छंद रचना ही
मात्राओं के संतुलन आधारित है
किस छंद की किस पंक्ति में कितनी मात्राएँ होगी
यह पूर्व निर्धारित रहता है
सांख्यकी जैसा कलात्मक विषय ही
गणितीय ज्ञान पर आधारित है|
चित्रकला हो या वास्तु शास्त्र हो सममिति और त्रिकोणमिति के ज्ञान के बिना
इनकी कल्पना करना मुश्किल है |
इसलिए बंधुवर गणित विषय मत भागो गणित में जीवन की कला है |
Sunday, July 31, 2016
बादशाह हलवाई मंदिर
Friday, July 29, 2016
दक्ष प्रजापति और शिव
उसका परिणाम क्या होता है
Monday, July 18, 2016
गुरु और गुरुत्व
Wednesday, July 13, 2016
सीख
उपयोगिता हाथी बैल ऊंट और घोड़े गधे
से सीखनी चाहिए
निर्भीकता सिंह से सीखनी चाहिए
प्रीती और एकता की प्रतीती पक्षी वानर और हाथी से ग्रहण करनी चाहिए
वफादारी अश्व और कुत्तो से सीखनी चाहिए
स्फूर्ति चीता और घोड़े से सीखनी चाहिए
कायरता दुर्बलता तो भेड़ बकरियो की तरह समूह में जरूर रहती है परन्तु मुसीबत आने पर तितर बितर हो जाती है
Saturday, July 9, 2016
पलायन या वैराग्य
कुछ लोग कर्म से पलायन कर अपनी जिम्मेदारियो से मुह मोड़ कर वैराग्य का वेश धारण कर लेते है
कर्म क्षेत्र में असफलता के कारण धारण वैराग्य वास्तविक अर्थो में वैराग्य न होकर पलायन होता है
ऐसे व्यक्ति जहा जाते वहा अपनी अकर्मण्यता का बोध कराते है व्यक्ति चाहे कही भी रहे किसी भी देश में किसी भी वेश में रहे कर्म कभी उसका पीछा नहीं छोड़ता यह सत्य है कि कर्म का स्वरूप अवश्य बदल जाता है कर्म शील व्यक्ति द्वारा धारण किया गया वैराग्य ही सच्चा वैराग्य होता है व्यक्ति के में शुचिता हो तो वह किसी भी वेश में रहे देश में रहे वैरागी है
Sunday, July 3, 2016
उत्पादकता
किसी देश की जी.डी. पी,उस देश के नागरिको की उत्पादक शक्ति पर निर्भर होती है भारतीय नागरिको की
उत्पादक शक्ति का दुनिया लोहा मानती है उत्पादकता के पैमाने अलग अलग हो सकते है सैनिको की उत्पादकता उनके शौर्य में समाहित होती है विद्यार्थी की उत्पादकता उसके अध्ययन और विषय समझ पाने की सामर्थ्य में खिलाड़ियों की उत्पादकता देश के लिए उनके अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन पर निर्भर होती परन्तु विदेशियो एक षड्यंत्र के तहत हमारी उत्पादकता को कम किया है कभी क्रिकेट के माध्यम से कभी सोशल वेबसाइट के माध्यम से युवा पीढ़ी को अभ्यस्त बना कर नशे का आदि बनाकर देश एवम् समाज विरोधी शक्तियों हमारे नागरिको की उत्पादक शक्ति का ह्रास कर रही है हमें इन सारी नकारात्मक परिस्थितियों से उबरना होगा
Wednesday, June 29, 2016
अभ्यास
परन्तु अभ्यास से ज्ञान के उपयोग का कौशल्य प्राप्त होता है
ज्ञान जब तक व्यवहारिक उपयोगिता प्राप्त नहीं कर पाता
वह विज्ञान का रूप धारण नहीं करता है
इसलिए विज्ञान में प्रयोग होते है
प्रयोग से अभ्यास किया जाता है
निरंतर अभ्यास से विषय में विशेषञता दक्षता प्राप्त होती है
Wednesday, June 22, 2016
स्वाध्याय
Thursday, June 16, 2016
कोटा, राजस्थान
Sunday, May 8, 2016
अक्षय
बिना मुहूर्त के वाहन संपत्ति क्रय की जा सकती है
अक्षय अर्थात जिसका क्षय न हो व्यक्ति जीवन बहुत कुछ पाता है कमाता बसाता है परन्तु सब कुछ व्यय या क्षय हो जाता है बचता कुछ भी नहीं है अक्षय तृतीया उस प्रव्रत्ति का प्रतीक है जिसमे श्रम है संचय है सदाचार है शुचिता है समृध्दि है सौंदर्य है सृजन है जहा संस्कार नहीं सदाचार नहीं वहा श्री सम्पदा अक्षय नहीं क्षरण होता रहता है अक्षय हमें यह बताती है कि विशुध्द साधनों द्वारा अर्जित संचय ही अक्षय रहता है
Thursday, April 28, 2016
समय
Sunday, April 17, 2016
महाकाली का श्याम वर्ण क्यों?
महाकाली के काले वर्ण का रहस्य क्या है?
महाकाली का उद्भव इसलिए हुआ था कि
अपराजेय दैत्य को परास्त करना देवताओ के
लिए असम्भव हो गया था दैत्य को निशाचर
भी कहा जाता है अर्थात उनकी शक्तिया रात्रि
अधिक प्रभावी हो जाती थी रात के अँधेरे का
लाभ उठाकर अमानवीय अत्याचार करते थे
धोखे देवताओ पर प्रहार कर उन्हें पीड़ित करते थे
इसलिए दैत्यों का परास्त करने उनका समूल नाश
करने के लिए देवी ने श्याम वर्ण धारण किया
और निशाचरों को गहन अंधेरो में छुपने का मौका
नहीं दिया उनका चुन चुन कर वध किया
Thursday, April 14, 2016
नवरात्रि
जप है तप है आराधना है
नवरात्रि नवल सृजन है
नवीन संकल्प है कर्म साधना है
नवरात्रि क्रिया शक्ति है महामंत्र है
ओंकार मात्रा है
आंतरिक शक्तियो का जागरण है
आध्यात्मिक यात्रा है
नवरात्रि गहन अन्धकार में
उजाले की आस है
भौतिक जगत के मध्य
नवधा भक्ति है ज्ञान की प्यास है
नवरात्रि भावनाओ का एक क्रम है
संवेदनशीलता है
नवीन अनुभूतिया पाने का उपक्रम है
नवरात्रि मातृ शक्ति का वरदान है
देवी का गुणगान है देवीयता धारण कर ही
व्यक्ति बना महान है
Wednesday, April 6, 2016
आया अब सिंहस्थ
Wednesday, March 30, 2016
अंत
अंत में मृत्यु का सत्य है श्रींराम है
अंत में कथा का श्रवण वैकुण्ठधाम है
अंत में क्षीणता दुर्बलता बुढ़ापा है
अनुभव की गहराई है नभ् नापा है
अंत में वैराग है संन्यास है शोक है
शाश्वत और सनातन है श्लोक है
अंत में लक्ष्य है शिखर है सागर गहरा है
अनंत ब्रह्माण्ड के भीतर तम ठहरा है
अंत में कृष्ण गीता है रामायण है
कर्तव्य से विमुख क्यों ? समरांगण है
अंत में लय है प्रलय है ताण्डव है
नर में नारायण सत्य में पांडव है
अंत में नाद है निनाद है नृत्य उत्तम है
शिव का डमरू बजता डम डम है
इसलिए अंत से आरम्भ है
आरम्भ से अंत है
सृष्टि का बीज है बीज में बसंत है
Tuesday, March 29, 2016
आरम्भ और ऊँ
आरम्भ ही आदि अनादि भीमकाय है
आरम्भ में गंध स्पर्श झंकार है
भीगी हुई अनुभूतिया है निर्विकार है
आरम्भ में कठिनाईया है
आरम्भ हो गया तो कार्य सफल हो गया आधा है
आरम्भिक अवस्था में
हर व्यक्ति सकुचाता है घबराता है
भय और संकोच के कारण आगे नहीं बढ़ पाता है
आरम्भ में उत्साह है रंग है तरंग है
होती विषम समस्याएं पर जीती जाती जंग है
आरम्भ में अर्पण तर्पण है समर्पण है
आरम्भिक प्रयासों से ही दिख जाता
इसलिए आरम्भ होना चाहिए
उत्तम और सार्थक प्रयासों से
आरम्भ में साधना है परिश्रम है
तृप्त हो जाती सभी कामनाये
Sunday, March 27, 2016
स्वास्थ्य लक्ष्मी और श्रीसूक्त
Thursday, March 24, 2016
सत्य की लड़ाई
आदमी अकेला होता है
सूरज को कभी दीपक दिखाया नहीं जाता
जल का अर्पण किया जाता है
दीपक तो चन्द्रमा को दिखाया जाता है
अँधेरे को भागने के लिए
उजाला लाने के लिये
अँधेरे को दूर कर जो
जग में उजाला भर दे
उसे दिवाकर कहते है
दिवाकर की शरण में
सत्य दूत रहते है
अपराध अन्धकार की तलाश करता है
अँधेरे के भीतर गुप् चुप रहता है
उजाला जगमगाते ही खूब रोता है
अपना अस्तित्व खोता है
इसलिए अन्धकार मिटाने के लिए
सच का उजाला होता जरुरी है
Tuesday, March 22, 2016
मनुष्यता के मापदंड -३
उस धर्म को हम इस श्लोक से समझ सकते है-
"ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन सरल सहज सुख राशि"
जीव ईश्वर का अंश हे वह अविनाशी हे अत: उसे सदैव इसी भाव मे रहना चाहिए वह चेतनता, सरलता और सभी के लिए सदैव सुख का माध्यम बनकर रहना यही उसका धर्म है
मनुष्यता के मापदंड -२
विद्या को प्राप्त किया जाता है और ज्ञान का उपयोग विद्या का परिणाम ज्ञान हे दोनों में बहुत सूक्ष्म भेद हे ज्ञान व्यक्ति को मनुष्य बनाने वाली वह शक्ति हे जिसके उपयोग से मनुष्य स्वयं अपना और विश्व का कल्याण करने का सामर्थ्य रखता हे विद्या ग्रहण कर उससे उत्पन्न ज्ञान का उपयोग कर मनुष्य बहुत सकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता हे जो मनुष्यता को नई ऊँचाईया देने मे सक्षम है
दूसरा हे विनम्रता यह मनुष्य का आभूषण हे विनम्रता से मनुष्य लोकपूजक बन जाता है अहंकार मनुष्य का क्षत्रु हे विनम्रता से अहंकार का नाश हो जाता हे और मनुष्य सदैव के लिए आत्मशातिं (inner peace)
को प्राप्त हो जाता है
शेष .........
Monday, March 21, 2016
होली
होली एक पर्व नहीं
सामाजिक क्रान्ति है
सामाजिक क्रान्ति जो आर्थिक
असमानता को दूर कर करे
सामाजिक क्रान्ति जो जातीयता के
दानव का दहन कर दे
होली एक आंदोलन है
आंदोलन जो सत्य को ग्रहण करे
असत्य को त्यागने को
अहम् के हिरण्यकश्यप का हनन करे
होली एक क्रीड़ा है े
क्रीड़ा वह जो मन की पीड़ा का शमन करे
होली एक अनुभव है आत्मीयता का
आत्मीयता जो मन को आल्हाद दे
आधुनिक प्रह्लाद का सरंक्षण करे
होली एक पिपासा है
पिपासा जो प्रेम का वरण करे
ईर्ष्या और घृणा का क्षरण करे
Saturday, March 19, 2016
मनुष्यता के मापदंड
विद्या - विद्या से आशय किताबी ज्ञान , डिग्रीयों के बडंल या रटंत विद्या से नहीं अपितु उस विद्या से है जो व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करने वाली हो उसे सत-असत का बोध कराती हो उसे राष्ट्र -समाज का आदर्श नागरिक बनाती हो जो उसे अपने ही परिवार का उत्तम सदस्य बनाती हो सारत: विद्या वह है जो व्यक्ति को मनुष्य बनाती हो
दान की परिभाषा तो बहुत व्यापक होती है दान का महत्व तभी है जब दाता को उस सम्बधित दान की उतनी ही अधिक आवश्यकता हो जितनी की दान लेने वाले को हे सारत: दान वह है जो प्रतिकर ,स्वार्थ रहित हो तथा जो दाता के लिए उतना ही महत्व रखता हो जितना की वह अदाता के लिए महत्वपूर्ण है जो स्वयं कष्ट पाकर भी परहित के लिए किया गया हो वही दान व्यक्ति को मनुष्य बनाती है
शेष भाग .........
Friday, March 18, 2016
चिंतन क्या है ?
Wednesday, March 16, 2016
सीमित विश्वास और जीवन प्रबंधन
एक बहुत पुरानी कहावत है
Saturday, March 12, 2016
गति एवम् उपासना
गति में प्राण में है
जो गतिमान नहीं है वह निश्चेत है
नदी गतिशील है तो निर्मल है
गतिशील नदी में जल परिशोधन की क्षमता है
स्थिर होने पर नदी का जल प्रदूषित है
इसी प्रकार से बहती वायु में ताजगी है
मंद या स्थिर वायु में बैचेनी है घबराहट है
विचार शून्यता व्यक्ति को चिंता प्रदान करती है
नवीन विचारो का सृजन जीवन को
नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करते है
विज्ञान ने गति के कई नियम
और सिध्दांत प्रतिपादित किये
गति के स्त्रोत का अनुसंधान करने हेतु तत्वों को
अणु परमाणु इलेक्ट्रान प्रोटान न्युट्रान में
विभाजित किया
परन्तु इलेक्ट्रान प्रोटान को ऋण आवेशित
और धन आवेशित ऊर्जा
कहा से निरन्तर प्राप्त हो रही है
इस पहेली को सुलझा नहीं पाये
प्राचीन ऋषि महर्षियो ने गति के
ऊर्जा के स्त्रोत को अध्यात्म में खोजा
साधना के बल पर उन्हें प्राप्त करने की
प्रक्रियाएं बताई ।उन्ही प्रक्रियाओ में से
शक्ति की उपासना महत्वपूर्ण है
नवरात्रि में इसलिए जीवन में
ऊर्जा भरने के लिए
गति की उपासना की जाती है
क्रिया के तीनो रूपों के स्त्रोत एवम्
प्रेरक शक्तियो से चैतन्यता प्राप्त की जाती है
लोकतंत्र से राजतंत्र तक
Tuesday, March 8, 2016
आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र
Monday, March 7, 2016
शिवरात्रि
Saturday, March 5, 2016
अकर्मण्ये साधिकारस्ते माँ फलेषु कदाचन
कोई सा भी काम उनको दे दो
इसी विचार धारा से प्रेरित हो
बड़े बड़े विषयो पर लंबे लंबे व्याख्यान