वैराग्य का अत्यंत महत्व है
वैराग्य में वह बल है
जो अनंत आकाश में निहित
शिव सत्ता तक पहुंचा सकता है
शिव क्या है ?
शिव वैराग्य के प्रतीक है
पार्वती क्या है ?
पार्वती समर्पण का भाव है
शिवरात्रि वह पर्व है
जो वैराग्य को अपने सारे सुख
समर्पित कर दे वह उत्सव है
शिवरात्रि पर पार्वती संग शिव ने विवाह रचाया था
पार्वती रूपी समर्पण ने सुख अपने अर्पित कर
कठोर तप से वैराग्य को पाया था
वैराग्य शिव तत्त्व की नीव है
भोग में रोग है
अभिलाषा में प्राप्ति में है
प्राप्ति में कहा सुख है
प्राप्ति में रहा दुःख है
,प्राप्ति से परमात्मा विमुख है
इसलिए शिव को पाना है
तो जीवन में वैराग्य को लाओ
सेवा समर्पण के अलंकृत हो
शिवरात्रि पर्व पर
आत्म बल का जागरण करते जाओ