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Monday, March 12, 2012

PRYASH








PRYASH - ( Thomas Alva Edison )

"प्रयाश, कोशिश" कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका हमारे जीवन मैं बहुत योगदान हैं जब भी हम किसी काम की शुरुवात करते हैं तो प्रथम चरण प्रयाश कहलाता हैं हम कोशिश करते हैं की हमारे द्वारा  शुरू किया हुआ काम पूरा हो हमे सफलता मिले पर  हम कई बार असफल होते है ,  तब  ये शब्द हमे पुनह उर्जा देते हैं नहीं मैं अपने काम को अधुरा नहीं छोड़ सकता मुझे कोशिस करते रहना होगा मैं प्रयाश करूँगा जब कोई आदमी ये जिद पकड लेता हैं तो  निश्चित ही वो अपने कार्य मैं सफल होता हैं  निश्चित ही वो अपने लक्ष्य को पता हैं .

कुछ ऐसा ही उदाहर्ण हमे एडीसन के जीवन मैं देखने को मिलता हैं -

थोमस अल्वा एडिसन को कौन नहीं जनता उन्होंने   कई महान  आविष्कार किये पर उन्हें याद रखा जाता हैं उनके सबसे बड़े आविष्कार के लिए जिसे आज हम  लाइट बल्ब की नाम से जानते हैं. 

थोमस लोगो के जीवन से अँधेरे को सदा सदा के लिए धुर करना चाहते थे यही उनका लक्ष्य था उनका संकल्प था जिसे पूरा करने के लिए वो दिन रात कई दिनों बिना खाए पिए अपने काम मैं मग्न रहते और ये काम था बल्ब के लिए एक ऐसा फिलामेंट बनाना जिसमें विधुत प्रवाह हो सके फिलामेंट गर्म हो कर प्रकाश तो दे पर इतना गर्म न हो जाये की जल जाये अथवा विधुत आवेग को सह नहीं पाए और ऐसे ही परफेक्ट फिलामेंट के आविष्कार मैं वे कई बार असफल रहें .
 
इस प्रयाश मैं घंटे दिनों मैं दिन सप्ताह मैं और सप्ताह  महीनो मैं बीत गए पर उनके हाथ लगी तो सिर्फ असफलता फैलियर वो लगभग दस  हजार बार असफल हुए, एक बार जब किसी ने उनसे कहा की आप दस  हजार बार असफल हो चुके हैं मैं कह रहा हूँ ये असम्भव हैं तब उनका कहना ये नहीं था की तुम सच कह रहें हो मुझसे ये नहीं होगा उन्होंने ये नहीं कहा की भगवान् मेरे साथ नहीं हैं उन्होंने ये भी नहीं कहा की मेरे पास साधन नहीं हैं या वातावरण मेरे प्रतिकूल हैं उन्होंने ये नहीं कहा की मुझे उपुक्त वातावरण नही मिला.
उनके शब्द थे - My friend I have not failed i"ve just found 10,000 ways that won"t work ive just found one way that works.

 मेरे मित्र मैं असफल नहीं हुआ हूँ मैंने बहुत कुछ सिखा हैं मुझे पता हैं मुझे ऐसे दस  हजार तरीके पता हैं जिससे बल्ब नहीं बन सकता मुझे तो बस एक और प्रयाश करना हैं जिससे मैं बल्ब बना सकूं
और हा यदि कोई और भी बल्ब बनाएगा तो उसे पता होगा की उसे कौन से दस  हजार काम नहीं करने हैं.वो मेरी  उन  हजारो  असफलताओ से सिख कर अपनी शुरुवात करेंगे मैंने तो कुछ दिया  हैं मुझे निराश होने की कोई वजह दिखाई नहीं देती  
और आखिर कार उन्हें वो तरीका मिल ही गया उन्होंने ऐसा फिलामेंट बना ही लिया जिसमें से विधुत बिना अवरुद्ध प्रवाहित हो सके और प्रकाश 
का रूप ले सके
वो था लाइट बल्ब. 
आज आमतोर पर देखने मैं आता हैं की व्यक्ति किसी काम को शुरू तो कर देता हैं हैं पर जब वो उसमें सफल नहीं हो पता तो इसका दोष साधन  , वातावरण भाग्य  ,और परिस्थितयो को देने लगता हैं वो प्रयाश नहीं करता कोशिश नहीं करता एक दो असफलताओ के बाद ही निराश हो जाता हैं और कई बार बहुत ही गलत कदम उठा लेता हैं.
इसलिए जब भी आप किसी काम मैं असफल हो तो एक बार अपने कमरे मैं जलते बल्ब को देख लेना.