बुद्धिमान व्यक्ति एवम चालाक व्यक्ति मे अंतर होता है
बुद्धिंमान व्यक्ति साहित्यिक होता है
अर्थात वह सभी का हित चाहता है तथा वह समस्त कार्य सर्व जन हिताय की भावना से करता है
बुद्धि की देवी माँ शारदा को कहा गया है
इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति दैविक गुणों से भरपूर होता है
जबकि चालाक व्यक्ति मात्र अपना स्वार्थ देखता है
ऐसा व्यक्ति कपटी भी कहलाता है
बुद्धिमान व्यक्ति प्रत्येक समस्या के समाधान करने के लिए तत्पर रहता है
जबकि चालाक ,कपटी व्यक्ति किसी भी समस्या का जनक होता है
जबकि चालाक ,कपटी व्यक्ति किसी भी समस्या का जनक होता है
बुद्धि मान व्यक्ति पर दैवीय आशीर्वादों की वर्षा होती रहती है
क्योकि वह श्रेष्ठ उद्देश्यों के लिए समर्पित रहता है
प्रत्येक युग में हर प्रकार की देश काल परिस्थितियों में
दो प्रकार की विचार धाराये समाज में व्याप्त रहती है
सकारात्मक एवम नकारात्मक
सकारात्मक एवम नकारात्मक
बुद्धिमान व्यक्ति रचनात्मक विचारधारा को प्रतिनिधि होता है
जबकि चालाक ,कपटी व्यक्ति विध्वंस एवं नकारात्मक विचार धारा का प्रतिनिधि होता है
ऐसे व्यक्ति के मन में निरंतर ईर्ष्या ,द्वेष के कारण षडयंत्र के विचार पनपते रहते है
जबकि चालाक ,कपटी व्यक्ति विध्वंस एवं नकारात्मक विचार धारा का प्रतिनिधि होता है
ऐसे व्यक्ति के मन में निरंतर ईर्ष्या ,द्वेष के कारण षडयंत्र के विचार पनपते रहते है
बुद्धिमान व्यक्ति की क्या पहचान है
अल्प समय मे बुद्धिमत्ता के परिचय की कसौटी क्या हो सकती है
बुद्धिमान व्यक्ति का सहज आकर्षण एवम अभिरुचि साहित्य ,कला,संगीत ,ज्ञान,विज्ञान के प्रति होती है
जिस व्यक्ति की अभिरुचि जीवन के उपरोक्त आयामों मे नही होती
वह भले ही जीवन मे सफलता के कितने दावे कर ले
भीतर से वह मानवीय गुणो से सम्पन्न नही हो सकता
इतिहास साक्षी है जितने भी महान व्यक्ति हुये है
वे किसी न किसी रूप मे कला संगीत ज्ञान विज्ञान ,साहित्य से जुडे हुये रहे है
महान शासक विक्रमादित्य, सम्राटअशोक ,सम्राट चन्द्रगुप्त ,बादशाह अकबर इसके उदाहरण थे
जिन्होने सदा विद्वानो,कलाकारो,संगीतज्ञो ,का आदर किया
उनकी सभा मे विशेष स्थान दिया था
पुराणिक कथाओं में भी भगवान विष्णु के जितने अवतार थे
सभी सद बुध्दी के प्रतिनिधि थे
जबकि राक्षस गण उनके प्रतिकूल विचारों के प्रतिनिधि थे
शिव जी के अंश पवन पुत्र की बुध्दी स्वरूप माना गया है
महाभारत में जहा भगवान श्रीकृष्ण बुध्दि एवं
सभी सद बुध्दी के प्रतिनिधि थे
जबकि राक्षस गण उनके प्रतिकूल विचारों के प्रतिनिधि थे
शिव जी के अंश पवन पुत्र की बुध्दी स्वरूप माना गया है
महाभारत में जहा भगवान श्रीकृष्ण बुध्दि एवं
श्रेष्ठ विचारों के प्रतिनिधि थे
वही उनके विरोधी कंस ,शकुनी ,षड्यंत्रकारी ,कपटी ,चालाक थे
वही उनके विरोधी कंस ,शकुनी ,षड्यंत्रकारी ,कपटी ,चालाक थे