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Sunday, March 27, 2016

स्वास्थ्य लक्ष्मी और श्रीसूक्त

लोग माँ लक्ष्मी को मात्र धन प्रदान करने वाली देवी के रूप के में ही जानते है ऋग्वेद के श्रीसूक्त को धन ऐश्वर्य प्राप्त करने का माध्यम ही समझते है किसी का भी ध्यान अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य पर नहीं जाता जबकि स्वास्थ्य को धन से बड़ा धन माना जाता है आज हम श्रीसूक्त के उस मन्त्र की और आपका ध्यान आकृष्ट करायेगे जो लक्ष्मी जी से अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है श्री सूक्त मन्त्र  जो इस प्रकार है 
" मनस: कामनाकूति वाच: सत्यमशीमहि 
पशूनां रूप मन्नस्य मयि श्री:श्रयतां यश :
अर्थात हे लक्ष्मी मैं आपके प्रभाव में मानसिक इच्छा एवं सकल्प वाणी की सत्यता गौ आदि पशुओं के रूप {दुग्ध दध्यादि एवं यव  बीहयादी }एवं अन्नो के रूप {अर्थात भक्ष्य भोज्य चोष्य लेह्य चतुर्विध भोज्य पदार्थ }इन सभी पदार्थो को प्राप्त करू ,सम्पत्ति और यश मुझमे आश्रय ले अर्थात मैं  लक्ष्मीवान और कीर्तिवान बनू । 
उपरोक्त मन्त्र में यह कामना की गई है की हे लक्ष्मी जी मुझे ऐसा स्वास्थ्य दीजिये की में सभी प्रकार के भोज्य पदार्थ ग्रहण कर सकु अर्थात चूसने चबाने खाने वाले वाले रस द्रव्य ठोस पदार्थो को दांतो से चबा सकु जिव्हा से रस लेते हुए उन्हें पचा सकू ।अप्रत्यक्ष रूप से उक्त मन्त्र से अच्छे स्वास्थ्य की कामना की गई है जिस व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होगा वह अच्छी पाचन तंत्र का होगा ही जिस व्यक्ति के हारमोन एंज़ाइम सक्रीय होंगे वह सभी प्रकार का आहार ग्रहण कर पायेगा ।लक्ष्मी जी इस स्वरूप को स्वास्थ्य लक्ष्मी संबोधित किया जाता है जिस व्यक्ति के स्वयं तथा परिवार का स्वास्थ्य अच्छा होता है वहा बीमारिया नहीं रहती ।बीमारिया दरिद्रता का कारण होती है ।बीमारियो से मुक्त व्यक्ति और परिवार होने से धन का अपव्यय नहीं होता है