आरम्भ में ॐ है नम: शिवाय है
आरम्भ ही आदि अनादि भीमकाय है
आरम्भ में गंध स्पर्श झंकार है
भीगी हुई अनुभूतिया है निर्विकार है
आरम्भ में कठिनाईया है
आरम्भ ही आदि अनादि भीमकाय है
आरम्भ में गंध स्पर्श झंकार है
भीगी हुई अनुभूतिया है निर्विकार है
आरम्भ में कठिनाईया है
विघ्न है बाधा है
आरम्भ हो गया तो कार्य सफल हो गया आधा है
आरम्भिक अवस्था में
हर व्यक्ति सकुचाता है घबराता है
भय और संकोच के कारण आगे नहीं बढ़ पाता है
आरम्भ में उत्साह है रंग है तरंग है
होती विषम समस्याएं पर जीती जाती जंग है
आरम्भ में अर्पण तर्पण है समर्पण है
आरम्भिक प्रयासों से ही दिख जाता
आरम्भ हो गया तो कार्य सफल हो गया आधा है
आरम्भिक अवस्था में
हर व्यक्ति सकुचाता है घबराता है
भय और संकोच के कारण आगे नहीं बढ़ पाता है
आरम्भ में उत्साह है रंग है तरंग है
होती विषम समस्याएं पर जीती जाती जंग है
आरम्भ में अर्पण तर्पण है समर्पण है
आरम्भिक प्रयासों से ही दिख जाता
भावी का दर्पण है
इसलिए आरम्भ होना चाहिए
इसलिए आरम्भ होना चाहिए
उत्तम और भव्य है
उत्तम और सार्थक प्रयासों से
उत्तम और सार्थक प्रयासों से
मिल जाता गंतव्य है
आरम्भ में साधना है परिश्रम है
आरम्भ में साधना है परिश्रम है
तो जीवन योग है
तृप्त हो जाती सभी कामनाये
तृप्त हो जाती सभी कामनाये
मिल जाता आरोग्य है