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Saturday, November 24, 2018

संयुक्त परिवार

संयुक्त परिवार धीरे धीरे विघटित होते जा रहे है वैसे वैसे सामाजिक समस्याएं विकराल होती जा रही है| परम्पराये संस्कार विलुप्त होते जा रहे है आज भी मझौले शहरों में और ग्रामीण क्षेत्रों में संयुक्त  परिवारों का कही कही अस्तित्व दिखाई देता है तो सुखद अनुभूति होती है संयुक्त परिवारों में एक प्रकार का अनुशासन दिखाई देता है |छोटे सदस्यों का बड़ो के प्रति आदर का भाव बड़ो का छोटे सदस्यों के प्रति स्नेह आशीष और सरंक्षण दृष्टिगत होता है|भारतीय संस्कृति और सस्कारो अस्तित्व बहुत हद तक संयक्त परिवारों से जुड़ा हुआ है जैसे जैसे संयुक्त परिवार विघटित होते जा रहे है|व्यक्ति आत्म केंद्रित होता जा रहा है तलाक और गृह कलह जैसे परिस्थितिया  निर्मित होती जा रही है| संयुक्त परिवार में कार्य का विभाजन मह्त्वपूर्ण कारक होता है|आर्थिक और सामजिक विषयो में घर के वरिष्ठ सदस्य के निर्णयो को अधिक महत्व दिया जाता है उनके मत को बहुत अधिक गंभीरता से सूना जाता है क्रियान्वित किया जाता है संयुक्त परिवारों में व्यवसाय हेतु पूंजी का अभाव नहीं रहता है क्योकि प्रत्येक सदस्य की थोड़ी थोड़ी पूंजी मिल कर व्यवसायिक आवश्यकता हेतु वृहत रूप धारण कर लेती है सभी सदस्यों के पास आभूषण और वस्त्र समान रूप से विध्यमान रहते है किसी के पास अधिक हो तो दूसरी महिला सदस्य उसका उपयोग कर लेती है किसी सदस्य के रुग्ण होने पर उसके उपचार की व्यवस्था स्वतः हो जाती है परिवारमें विपत्ति आती है सभी महिलाये उनके पास विध्यमान आभूषणों को परिवार के हित  के लिए अर्पित कर देती है कमजोर सदस्य को आर्थिक और सामजिक सुरक्षा की आश्वस्ति रहती है  संयुक्त परिवार प्रबंधन के जीवंत उदाहरण है महाभारत हो या रामायण दैत्य हो दानव प्राचीन भारतीय परिस्थितियों में संयुक्त परिवार की अवधारणा को सभी ने अपनाया है संयुक्त परिवार के माध्यम से अपने परिवार समाज राज्य को समृध्द और पुष्ट बनाया है कई प्रकार के प्रतिरोधों का सामना किया है पर संयुक्त परिवार वह कवच  रहा है जहा से परिवार समाज  राज्य ने पुनः अपना सामर्थ्य पाया है|