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Saturday, October 6, 2012

दान अनुदान अपव्यय और निवेश

दान का सामाजिक द्रष्टि के साथ आध्यात्मिक  
द्रष्टि से भी अत्यधिक महत्व है
दान के कई प्रकार होते है 
जिनमे विद्या दान,अन्न दान,धन दान,
श्रम दान,रक्तदान,अंग दान प्रमुख है
वीर और  साहसी लोग संकट के समय
 अपने समाज और  देश के लिये
शौर्यता पूर्वक प्राण दान तक करने से नही चूकते है
दान का कौनसा स्वरूप कब अंगीकार किया जाय
यह परिस्थितियो के ऊपर निर्भर करता है
धर्म कार्यो मे धन दान का महत्व होता है
बिना दक्षिणा के पूजा पाठ और यज्ञ अग्निहोत्र का 
फल प्राप्त नही होता है
इस प्रकार का दान व्यक्ति को अपने आर्थिक सामर्थ्य के
 अनुसार करना चाहिये
पात्र व्यक्ति को ही किया जाना चाहिये
दानदाता को पर्याप्त क्षमता होने पर भी दान देते समय
दान ग्रहिता की पात्रता के प्रश्न पर भी विचार करना चाहिए अपात्र व्यक्ति को विद्या दान तथा धन का दान किये जाने पर
दान का पुण्य दाता को प्राप्त नही होता है
और समाज का अहित भी होने की संभावना 
भी अधिक होती है
धर्म जाति वर्ग के आधार  प्रायोजित आतंकवाद  मे
इस प्रकार के दान के दुरुपयोग को हम देखते है
प्रशिक्षित आतंकवादी तकनीकी ज्ञान का 
किस प्रकार दुरुपयोग करते है यह सर्वविदित है
अपात्र व्यक्ति को धन का अनुचित दान 
अपव्यय की श्रेणी मे चला जाता है
समाज और  व्यक्ति को अकर्मण्य बनाता है
ऐसे भी उदाहरण है कि व्यर्थ के अनुदान से राजकोष रिक्त
होने की अवस्था मे पहुँच  गये है
इस प्रकार के दान से न तो अध्यात्मिक  लाभ मिल पाता है
और नही धन की गति को हम उर्ध्व मुखी कर पाते है
कितने ही सेवानिव्रत्त शासकिय सेवक है
जिन पर उनके वयस्क पुत्र आश्रित है
धन के अपव्यय की इस अवस्था को रोकना होगा
आज जिस दान की समाज को सर्वाधिक आवश्यक  है
वह श्रम दान है
वर्तमान मे यांत्रिक युग होने से व्यक्ति श्रम से जी चुराने लगा है
गरीब से गरीब आदमी भी कम से कम परिश्रम मे 
अधिक धन प्राप्त करना चाहता है
कुछ लोग तो बिना परिश्रम के अपरिमित धन लाभ की 
आकांक्षा  रखते है
परिणामस्वरूप वे अपराधिक कर्मो मे लिप्त हो जाते है
रोजगारोन्मुखी शासकिय योजनाये भी इस कारण 
दम तोड़ती दिखाई देती है
सही व्यक्ति को सही अनुपात मे सही चीज का दान करने से
व्यक्ति ,समाज ,देश को दिशा मिल जाती है
ऐसा  दान व्यक्ति समाज देश को उत्थान के मार्ग पर पहुंचाता  है
ऐसा दान श्रम को गुणित कर धन को बहुगुणित
 ,ज्ञान को विज्ञान और विज्ञानको आविष्कार की 
 पराकाष्ठा तक पहुंचा देता है
ऐसा दान निवेश बन जाता है
जो व्यक्ति निर्माण ,समाज निर्माण की,राष्ट्र निर्माण की कल्पना को साकार कर देता है
ऐसे दान के चमत्कारिक और अदभुद परिणाम प्राप्त होते है