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Wednesday, September 5, 2012

बुजुर्ग हमारे माता पिता है अधिष्ठाता है

बुजुर्ग हमारे परिवार के प्राण है प्रतिष्ठाता है
बुजुर्ग हमारे माता पिता है अधिष्ठाता है
बुजुर्ग संस्कारो की विरासत है नैतिकता की पहचान है
बुजुर्गो के बिना परिवार को कहा मिल पाया सम्मान है
बुजुर्ग अनुभव की खुली हुई किताब है
बौद्धिकता के धरातल पर स्मृतिया बेहिसाब है
बुजुर्ग हमारे सरंक्षक है अभिभावक है
स्नेह पाते है बच्चे खेलते कूदते शावक है
बुजुर्ग परिवार के गौरव ,कुल के अभिमान है
उनकी उपस्थिति मात्र ही देती है गरिमा बढ़ा देती मान है
बुजुर्ग वक्त की ईबारत है
दीर्घायु मे बसता बुढा भारत है
उनके बालो की सफेदी सूक्ष्म अनुभूतियो का द्योतक  है
झुरिर्यो भरे चेहेरे से ताकता समय का समालोचक है
बुजुर्ग परिवार के ताज है
बीता हुआ  कल है वर्तमान है आज है
बुजुर्गो  की वेदना को समझना अनिवार्य है
बुजुर्ग वह सीढी है जिन पर चढ़े बड़े और बने हम आर्य  है
कहते है शास्त्र मत करो घर के बडो बुढो की उपेक्षा
हर आदमी को मिलती है जीवन मे एक बार बुढापे की कक्षा
इसलिये बुजुर्गो की भूमिका समाज और देश के हित मे है
बुजुर्ग सदा हमारे साथ रहे उनके साथ से हम जीत मे है
बुढापा जीवन का वेद है उपनिषद है,धर्म है पुराण है
तरूणाई की ताकत और जीवन के अनुभव से होता कल्याण है
  बुजर्ग इन्सान अपनी भूमिका स्वयम जानता है
समस्या के जनक और  समाधान को वह खूब अच्छी तरह जानता है
बुजुर्ग व्यक्ति समाज और परिवार के लिये वरदान है
बुजुर्गो को दे उचित आदर  इसका हमे रहे ज्ञान है
इसलिए बुजुर्ग माता पिता को कभी मत सताओ
उनकी आँखों में तैरते है कई सपने उन्हें सजाओ