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Thursday, September 5, 2013

विश्वामित्र का सूत्र

पुरातन काल में राक्षस ऋषि मुनियों को परेशान करते थे
उनके अग्निहोत्र यज्ञादि अनुष्ठानो में विघ्न उत्पन्न करते थे
त्रेता युग में इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए 
महर्षि विश्वामित्र ने अयोध्या के राजा दशरथ से
 उनके पुत्र राम और लक्ष्मन को माँगा था
इस प्रसंग को हम भले सामान्य वृत्तांत मान ले 
परन्तु इस वृत्तांत में
वर्तमान में विद्यमान समस्याओं के समाधान है
वर्तमान में भी श्रेष्ठ कर्म में रत रहने वालो को
 दैत्य और राक्षस प्रवृत्ति वाले लोग 
तरह  तरह से परेशान करते है
 महर्षि विश्वामित्र अर्थात ऐसा स्वभाव 
जो विश्व को मित्रवत बना सके
हमें ऐसा स्वभाव स्वयं का विकसित करना चाहिए
जिससे हमारे मित्रो की संख्या में वृध्दि हो सके
ऐसे स्वभाव को प्राप्त करने के पश्चात हमें
 हमारी तन मन की अयोध्या के दशरथ से
श्रीराम रुपी धनुर्धर को मांगना होगा 
तब ऐसा श्रीराम रूपी धनुर्धर अपने भ्राता 
लक्ष्मन अर्थात लक्ष्य जिसेश्रेष्ठ  उद्देश्य भी कहते है के माध्यम से  सद  प्रव्रत्ति रूपी ऋषि मुनियों को सरंक्षण करते है