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Thursday, March 15, 2012

चरित्र संस्कार

व्यक्ति में चरित्र  संस्कार से होता है
संस्कार का आत्मा से सम्बन्ध होता है
आत्मा में संस्कार साधना से होता है
संस्कार का पैमाना व्यक्ति का व्यवहार होता है
जो आत्मा के बिम्ब का प्रतिबिम्ब होता है
विकार ग्रस्त व्यक्ति न जागता न सोता है
वह जीवन में कुछ पाता नहीं
सब कुछ खोता है
इसलिए आत्मा से विकारों को को भगाओ
आत्मा को संस्कारों से सजाओ
संस्कारों से विचारों की गंगा को बहाओ
सत विचारों से जीवन में सकारात्मकता आती है
जो सूर्य की रोशनी की तरह चारो और छाती है
रोशनी सृजन की नई आशाये सजाती है
दिन प्रतिदिन नई मंजिले नवीन ऊँचाइया पाती है
अत आत्मा में ही परमात्मा का वास है
इसकी चेतना में रहती सफलता
प्राणों के पखेरू को मिलता आकाश है
फैला है सभी और असीम शक्ति का आभास है