सत्य की लड़ाई में
आदमी अकेला होता है
सूरज को कभी दीपक दिखाया नहीं जाता
जल का अर्पण किया जाता है
दीपक तो चन्द्रमा को दिखाया जाता है
अँधेरे को भागने के लिए
उजाला लाने के लिये
अँधेरे को दूर कर जो
जग में उजाला भर दे
उसे दिवाकर कहते है
दिवाकर की शरण में
सत्य दूत रहते है
अपराध अन्धकार की तलाश करता है
अँधेरे के भीतर गुप् चुप रहता है
उजाला जगमगाते ही खूब रोता है
अपना अस्तित्व खोता है
इसलिए अन्धकार मिटाने के लिए
सच का उजाला होता जरुरी है
आदमी अकेला होता है
सूरज को कभी दीपक दिखाया नहीं जाता
जल का अर्पण किया जाता है
दीपक तो चन्द्रमा को दिखाया जाता है
अँधेरे को भागने के लिए
उजाला लाने के लिये
अँधेरे को दूर कर जो
जग में उजाला भर दे
उसे दिवाकर कहते है
दिवाकर की शरण में
सत्य दूत रहते है
अपराध अन्धकार की तलाश करता है
अँधेरे के भीतर गुप् चुप रहता है
उजाला जगमगाते ही खूब रोता है
अपना अस्तित्व खोता है
इसलिए अन्धकार मिटाने के लिए
सच का उजाला होता जरुरी है