हनुमान जी को वायु तत्व का प्रतिनिधि माना जाता है
परन्तु प्रश्न यह उठता है
हनुमान जी वायु तत्त्व के प्रतिनिधि क्यों है ?
वायु की विशेषता होती है की वह निरंतर गतिशील रहती है
हनुमान जी भी निरंतर सक्रीय और गतिशील रहते है
जहा उन्हें अथवा उनके प्रभु श्रीराम को याद किया जाता है
वहा के वातावरण में उनकी उपस्थिति का अनुभव किया जा सकता है
वायु तत्त्व की विशेषता रहती है की
उसकी गति की दिशा को समझ कर मौसम का
अनुमान लगाया जा सकता है
वायु की गति की दिशा के की गई मौसम की
भविष्य वाणी सटीक बैठती है
हनुमान जी भी वक्त से पहले परिस्थितियों का आंकलन कर लेते है
उनके सारे अनुमान सटीक बैठते थे
वायु की विशेषता होती है की
उसका कितना भी भार हो भार का अनुभव नहीं होता
हनुमान जी ने सदा दीन -दुखियो सज्जनो की सहायता ही की है
कभी भी किसी पर भार नहीं बने
उन्होंने सदा दायित्व के भार को उठाया ही है
समाज में ऐसे बहुत से व्यक्ति देखे जा सकते है
जो दूसरे पर भार बन कर रहते है
यदि हमें हनुमान जी को ईष्ट बनाना है तो
हमें दूसरो पर भार नहीं बनना चाहिए
वायु की विशेषता होती है की
वह ध्वनि संचरण का माध्यम होती है
अंतरिक्ष जहा वायु नहीं होती
वहा लोग आपस में संवाद नहीं कर पाते
रामायण में हनुमान जी ने श्रीराम का सन्देश
सीता के पास पहुंचा कर संवाद स्थापित करवाया था
संवाद हीनता सदा हानिकारक होती है
विवाद कितना भी उग्र रूप धारण कर ले
संवाद के सेतु कभी टूटना नहीं चाहिए
संवाद सुलह की एक कड़ी होते है
पृथ्वी के आस पास मौजूद वायु तत्व
जिसे हम ओजोन मंडल कहते है
वह हमारी अंतरिक्ष से आने वाली सूर्य की
हानिकारक किरणों से रक्षा करती है
यह वायु तत्त्व की विशेषता है
हनुमान जी भी सज्जनो का सरंक्षण करते है
सुग्रीव उनके भ्राता बाली की अपेक्षा कितने ही कमजोर थे
पर हनुमान जी ने सुग्रीव का ही साथ दिया था
यदि हम हनुमान जी को अपना ईष्ट मानते है
तो हमें भी दुर्बल और कमजोर व्यक्तियों की सहायता करनी चाहिए
सरंक्षण करना चाहिए
अंतिम रूप से वायु की विशेषता होती है
उसमे अतुलित बल होता है
वायु जब तूफ़ान का रूप धारण करती है
तो समुद्र में चक्रवात और तूफ़ान पैदा कर सकती है
धरती पर विशाल शीला खंडो को चकना चूर कर देती है
नदियों को रास्ता बदलने पर मजबूर कर देती है
परन्तु वही वायु जब अनुशासित होती है तो
पवन ऊर्जा कई घरो को रोशनी देती है
संयंत्रों में तरह तरह के उत्पादों का निर्माण कर देती है
वायु के अनुशासित वेग से नौकाएं सही दिशा में
गति पाकर मंजिल पा लेती है
हनुमान इसलिए पवन पुत्र कहलाते है
क्योकि उनमे अतुलित बल है
वे अतुलित बल से आकाश में उड़ सकते है
अनुशासित होकर राम सेतु बना लेते है
परन्तु जब उन्हें लगता है उनकी सज्जनता का
हास्य बनाया जा रहा है तो वे भीषण तांडव भी मचा सकते है