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Saturday, October 10, 2015

एकांत की सार्थकता

एकांत सदा दुखदायी नहीं होता
एकांत सभी व्यक्तियो के लिए सुख दाई नहीं होता
एकांत वरदान भी होता
अभिशाप भी होता
एकांत में रह कर महर्षि अरविन्द ने माँ जगदम्बा को
माँ भारती के स्वरूप में पाया है
एकांत सेवन कर तुलसी ने रामायण रची
प्रभु श्रीराम को पाया है
एकान्तिक सरीता के तट पर इस मन ने रचा है गीत
कल कल लहरो के समीप मधुर गीत गाया है
एकांत अँधेरा अपराध में सहायक है
अँधेरे एकांत में है कातर स्वर हर व्यक्ति होता गायक है एकांत कभी योगी को मोक्ष तो
कभी भक्ति को शक्ति दिलवाता है
एकांत पलो में प्रेयसी से प्रियतम मिल पाता है
एकांत जितना शांत है उतना आक्रान्त है
मरघट की एकान्तता होती बेहद डरावनी है
पनघट की एकांतता होती शांत मनभावनी है
इसलिए एकांत आनंद और भय दोनों का पर्याय है
एकांत में हम भोग से ही नहीं
योग और अध्यात्म से जुड़े
परमार्थ होता जीवन में अनिवार्य है