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Thursday, April 24, 2025

कर्तव्य

जो व्यक्ति समूह या समाज निरंतर अपने अधिकारों की मांग करता रहता है और कर्तव्यों को भूल जाता अथवा उनकी उपेक्षा कर देता है l वह व्यक्ति समूह या समाज स्वत:अपने अधिकारों को खो देता है l जबकि जो व्यक्ति समूह या समाज अपने कर्तव्यों का निरंतर पालन करने को तत्पर रहता  है और समय समय पर उन्हें अपने करता रहता है ,वह व्यक्ति समूह या समाज अपने अधिकार स्वत:प्राप्त कर लेता है l
    हमारे समाज कई व्यक्ति समूह या समाज अपने अधिकारों की निरंतर मांग करते रहते है अपने कर्तव्यों की और बिल्कुल ध्यान नहीं देते है l वे अपने कृत्यों से स्वयं ही अपना बहुत बड़ा नुकसान कर रहे है l दूसरी और जो लोग अपने कर्तव्यों का भली भांति पालन कर समाज और देह हित में बहुत बड़ा योगदान दे रहे है वे न केवल अपने स्वाभाविक अधिकार प्राप्त कर रहे है अपितु उनका व्यक्तित्व और कृतित्व निरंतर नवीन ऊंचाईयों को भी छू रहा है,l
   अब प्रश्न यह है कि कर्तव्य क्या है? कर्तव्य अलग अलग व्यक्तियों के लिए अलग अलग हो सकते है l सभी के लिए एक ही प्रकार के कर्तव्य नहीं हो सकते l मूल बात यह है कि व्यक्ति की समाज परिवार या संस्था  में जो भी स्थिति है उस स्थिति के अनुरूप प्राथमिकता का निर्धारण कर पूरी क्षमता से किए जाने वाले कार्य को पूर्ण करे l संस्था परिवार समाज देश के विश्वास को बनाए रखे l