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Sunday, May 17, 2015
Saturday, May 16, 2015
व्यक्तित्व निर्माण की पाठशाला
Tuesday, May 12, 2015
व्यक्ति और व्यक्तित्व
व्यक्ति अपनी छोटी छोटी आदतो पर ध्यान नहीं देता है
जबकि एक ही प्रकार की आदत लंबे समय तक बने रहने पर वह व्यक्तित्व की अंग हो जाती है कई प्रकार की बुरी आदते बुरे व्यक्तित्व का निर्माण कर देता है संसार में जितने भी महान व्यक्तित्व हुए है वे छोटी छोटी बहुत सी अच्छी आदतो के कारण हुए है
व्यक्तित्व निर्माण एक दीर्घ और सतत् प्रक्रिया है
छोटे छोटे प्रलोभनों के कारण हम अपना कितना बड़ा दीर्घकालिक नुकसान कर बैठते है यह हमारे बौने व्यक्तित्व का ही परिणाम है मानसिक दरिद्रता और विकलांगता व्यक्ति के संकीर्ण सोच और सीमित क्षमता का परिचायक है ऐसी संकुचित मनोवृत्ति का व्यक्ति निकृष्ट व्यक्तित्व का प्रतीक होता है
Monday, May 11, 2015
गरीबी ??
आज के युग में सबसे अधिक कोई शब्द प्रचलित हैं तो शायद वह शब्द गरीब होना चाहिये ,
आज - कल लोगों को इससे बहुत लगाव है खासकर के राजनैतिक दलों का तो अस्तित्व ही इस एक शब्द पर खडा है कुछ एक दलों ने तो इसी के सहारे सत्ता काे बरकरार रखा गरीब और गरीबी है तो सत्ता है यह मंत्र उन्हे कण्ढस्थ है तो गरीबी तो हटनी ही थी ?
खैर इसके लिये केवल राजनैतिक दलों को पुरा दोष देना भी उचित नही
क्योकि व्यक्ति गरीब पैदा अवश्य हो सकता है पर गरीबी में जीना और मरना यह उसके हाथों में हैं
यदि यहा आप गरीबी का आशय आर्थिक दरिद्रता से ही समझ रहे है तो में आपको स्पष्ट कर दूं की यह बहुत संकुचित अर्थ है और इसका अर्थ तो बहुत व्यापक हे
जैसे
मानसिक दरिद्रता
शारिरक दरिद्रता
और सबका परिचित आर्थिक दरिद्रता
आर्थिक गरीबी पाप नहीं है परन्तु मानसिक गरीबी होना बहुत बडा अपराध है यही वह गरीबी है जो व्यक्ति को आजीवन राजनैतिक दलों की निर्भरता और आर्थिक तंगी का मोहताज बनाये रखती है वरना किस की हिम्मत है कि वह मानसिक्ता सम्पन्न व्यक्ति को मुर्ख बना अपनी सत्ता की रोटिया सेंक सके ?
हमारे देश में तो आर्थिक दरिद्रता का कभी उपहास नहीं बनाया गया एसे कई व्यक्ति हुये जो आर्थिक रूप से भलें ही गरीब रहे हो पर उनकी मानसिक सम्पन्नता ने उन्हे लोकपूजक बना दिया आप स्वयं उन नामों को भलीभातीं जानते है
दुसरी शारिरिक गरीबी में यहा यह स्पष्ट कर दूं की में विकलागंता को शारिरिक गरीबी की श्रेणी में नही रखता क्योकि विकलांगता व्यक्ति की गति कम कर सकती हे पर उसे रोक नही सकती एसे भी कई उदाहरण मिल जायेगे जहॉ शारिरिक चुनौति के बावजुद लोगों ने असम्भव कार्य कर दिखाये है
अत: शारिरिक गरीबी वह है जो व्यक्ति को ईश्वर प्रद्त इस अनमोल सम्पदा के प्रति उदासीन रवैया रखने के परिणाम स्वरूप द्रष्टिगत होता है खैर विषय बहुत लम्बा है और समय कम ..............
Tuesday, April 21, 2015
नदी की तरह जिओ
Tuesday, April 14, 2015
झूठ के प्रकार
उससे कही ज्यादा प्रतिबध्द होकर हम झूठ बोलते है
झूठ बोलने कई कारण हो सकते है और कई प्रभाव हो सकते है
कुछ लोग झूठ केवल मजा लेने के लिए बोलते है
कई लोग झूठ अपनी झूठी शान बढ़ाने के लिए बोलते है
दोनों प्रकार के झूठ से किसी को हानि नहीं होती
पर झूठ बोलने वाले को एक अलग ही प्रकार की संतुष्टि प्राप्त होती है
कुछ लोग झूठ दूसरो के झूठ को आश्रय देने के लिए बोलते है
इस झूठ को बोलने के कारण भय ,पाखण्ड का प्रसार होता है