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Thursday, October 11, 2012

श्राध्द पक्ष



श्रध्दा श्राध्द नहीं पितरो को तर्पण है
पुरातन आस्थाओ  का तराशा गया दर्पण है
तर्पण तर्पण नहीं दिवंगत आत्माओं की तृप्ति है
आत्माओं की आत्मीयता पूर्वक दी गई मुक्ति है
श्रध्दा से भींगा
हुआ श्राध्द पक्ष है
कठिन समस्याये है ठहरे प्रश्न यक्ष है
महकी हुई आभा है दीप्ति है
ऐतिहासिक सच्चाईया है जीने की युक्ति है
मन से संस्कारों की विरासत कभी नहीं मिट सकती है
घर आँगन पंछियों की जुटती हुई भीड़ है ,नीड़ है
कोलाहल है ,चहचहाहट है लुटती हुई मस्ती है
इसलिए श्राध्द पक्ष में अपनी श्रध्दा जगाओ
पूर्वजो के सत्कर्मो को स्मृति में लाओ
उन्हें स्वयं के भीतर बसाओ
पितरो से आशीष पाओ
जीवन में उल्लास के पल ले आओ

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