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Saturday, March 9, 2013

भगवान् शिव

महाकालेश्वर , ओङ्कारेश्वर ,रामेश्वर ,घ्रिश्नेश्वर भीमाशंकर ,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ,, विश्वनाथ वैद्यनाथ ,केदारनाथ 
इत्यादि नामो के अतिरिक्त भगवान् शिव को उज्जैंन में  
राजा के रूप में
 तो नर्मदा तट पर बसी नगरी धर्मपुरी में जागीरदार 
बिल्वामृत्तेश्वर के रूप में संबोधित किया जाता है 
आवश्यकता वातावरण क्षेत्र के अनुरूप 
भगवान शिव को हम वैसा ही मानते है पूजते है
 जैसा हमें उचित लगता है भगवान शिव ऐसे देव है
 जो न तो किसी परम्परा से बंधे है न किसी वेश परिवेश से बंधे
 जैसा श्रृंगार कर दो वे वैसे ही बन जाते है 
परन्तु मनुष्य परिवेश के अनुसार न तो वेश बदलता है
 न ही उसके आचार विचार भाषा में कोई अंतर आता है
 भगवान् शिव के भिन्न स्वरूप हमें यह प्रेरणा देते है की
 व्यक्ति को आवश्यकता के अनुसार 
अपनी भूमिका निर्धारित कर लेनी चाहिए 
तभी वह सर्वस्वीकार्य  हो  सकता है

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