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Tuesday, September 10, 2013

मिटटी की महिमा

मिट्टी  से प्रतिमा है बनती मिटटी से बनता है घर
मिटटी में ही  मिल जाएगा अहंकार अब तू न कर

मिट्टी  में है तेरा बचपन मिटटी पर है तू निर्भर
मिटटी में भगवान् रहे है मिटटी में रहते शंकर

मिट्टी   से माता की  मूर्ति मिट्टी  से लम्बोदर
मिटटी खाए कृष्ण कन्हैया मिटटी को हांके हलधर

कही छाँव है कही है धुप माटी  का है उजला रूप
माटी  के भीतर  है ऊर्जा माटी से तू अब न डर

2 comments:

  1. बढ़िया ...word verification हटा लें ...टिप्पणी में परेशानी होती है

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  2. कही छाँव है कही है धुप माटी का है उजला रूप
    माटी के भीतर है ऊर्जा माटी से तू अब न डर ..
    सच कहा है बिलकुल ... जो भी है इस माटी से मिला है ओर इसी में वापस भी मिल जाना है एक दिन ...

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