परिवेश में सकारात्मकता और नकारात्मकता
दोनों बिखरी हुई है
प्रश्न यह है कि हमें क्या पाना है
सकारात्मकता रहती सज्जनों के पास है
नकारात्मकता में रहते दुर्गुण है
दुर्जनों में उसका निवास है
सकारात्मकता में सत्य की सत्ता है
ओज है ऊर्जा है
नकारात्मकता में नहीं अपनापन है
परायापन अविश्वास है
हर रिश्ता लगता दूजा है
जीवन में यदि सकारात्मकता चाहते हो
जीवन से नकारात्मक भाव हटाना चाहते हो तो
सज्जनता की और प्रयाण करो
दुर्जनता दुर्गुणों से रहो विमुख
दुष्टों का कभी मत गुणगान करो
जीवन को चारो और नकारात्मक वातावरण ने घेरा है
नकारात्मकता के अँधेरे में यह सारा जग ठहरा है
सकारात्मक सोच में ही सृजन का ध्वज फहरा है
बुरे हालात में क्यों न कुछ अच्छा से अच्छा किया जाए
बुराईयों के बीच रह कर जीवन सच्चा जिया जाए
बस यही सही सोच अपनाना होगा
नकारात्मकता के अँधेरे में यह सारा जग ठहरा है
सकारात्मक सोच में ही सृजन का ध्वज फहरा है
बुरे हालात में क्यों न कुछ अच्छा से अच्छा किया जाए
बुराईयों के बीच रह कर जीवन सच्चा जिया जाए
बस यही सही सोच अपनाना होगा
सकारात्मकता को अपनाकर ही
सत्य की मंजिल को पाना होगा
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