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Friday, July 4, 2014

सद्गुरु और क्षमतावान शिष्य

गुरु पूर्णिमा  पर शिष्य अपने अपने 
गुरुओ की पूजा करते है 
बहुत से गुरु इस पर्व पर 
शिष्यों को दीक्षा प्रदान करते है 
बहुत ऐसे व्यक्ति जिनके कोई गुरु नहीं है
 वे सद्गुरु की खोज में लगे रहते है 
परन्तु जितना मुश्किल है सद्गुरु का मिल पाना 
उतना ही मुश्किल है 
एक अच्छे गुरु की योग्य शिष्य की तलाश कर पाना
बहुत से गुरु शिष्यों की संख्या में विश्वास करते है
 शिष्यों की गुणवत्ता में नहीं 
बहुत से गुरु यह गर्व अनुभव करते है
 की कोई नामी व्यक्ति उनका शिष्य है 
महत्वपूर्ण यह है गुरु की आध्यात्मिक साधना कितनी है
 वह कितना ज्ञानी  है 
इसी प्रकार से महत्व इस बात का भी है की 
शिष्य की आध्यात्मिक साधना क्या है 
यदि एक ऐसा व्यक्ति जिसकी कोई आध्यात्मिक साधना नहीं है 
और धनी और प्रतिष्ठित हो तो 
उसे जो भी गुरु मिलेगा 
वह उस गुरु पर भार ही होगा
 गुरु की आध्यात्मिक शक्ति का क्षरण ही करेगा 
इसके विपरीत एक ऐसा शिष्य जिसके अध्यात्म का स्तर उन्नत हो 
 वह अपने से अल्प स्तर के व्यक्ति को गुरुता प्रदान करता है 
तो ऐसे शिष्य की आध्यात्मिक शक्तिया  क्षीण होगी 
इसलिए एक सद्गुरु को संभावना से 
परिपूर्ण शिष्य की तलाश रहती है 
यह उसी प्रकार से है जिस प्रकार से एक अच्छे विद्यालय को 
अच्छे छात्रों की तलाश रहती है 

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