कर्म कर ले वीर तू कर्म कर ले कर्म से ही जीवन महान हैं
आलस्य तो जीवित जलता श्मशान है
कर्म कर ले वीर तू कर्म कर ले....
भूल मत ए वीर तू वीरों की सन्तान है
लक्ष्मण और गुडाकेश तेरे आदर्श महान हैं
कर्म ही जीवन जीने का सूत्र हे, आलस्य तो नाली में बहता मल-मूत्र है
कर्म कर ले वीर तू कर्म कर ले...
जाग जा अब तूझे आलस्य नहीं सूहाता हे
बहुमूल्य जीवन का समय व्यर्थ क्यों गवाता है ?
कब तक तू सोयेगा ? अपनी किस्मत को कब तक रोयेगा ?
रोना तुझे नहीं सुहाता है जाग तू ही अपना भाग्य विधाता है
कर्म कर ले वीर तू कर्म कर ले...
नींद मे अब तू ना रहना आलस्य को तू ना सहना
जाग जा अब यही समय की मांग है मौत के बाद फिर विश्राम ही विश्राम है।
No comments:
Post a Comment