राहुल हर बात के लिए जिद करता था छोटी छोटी वस्तुओ की मांग पर वह अड़ जाता था जीवन मरण का प्रश्न बना लेता था आखिर उसकी जिद पूरी करने वाले उसके पिता जो थे धीरे धीरे राहुल उम्र बढ़ती गई पिता से उसकी अपेक्षाएं भी उसी अनुपात में बढ़ने लगी महंगाई के इस युग राहुल के पिता की सीमित आय राहुल की जिद पूरी करने में समर्थ नहीं थी राहुल का स्वकेंद्रित स्वभाव कभी खुद की असीमित आवश्यकताओ के आगे सोचने का अवसर प्रदान नहीं करता परन्तु निरंतर दायित्वों के भार और ढलती हुई उम्र के कारण राहुल के पिता का स्वास्थ्य गिरता जा रहा था अचानक राहुल पिता के देहांत की सूचना ने राहुल को हतप्रभ कर दिया घर में कुआरी बहन की शादी छोटे भाई की पढ़ाई का दायित्व का खर्चा कहा से उठाये राहुल अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति ही नहीं कर पा रहा था अब राहुल की जिद पालने वाला शख्स जो नहीं रहा जिद जिसके बलबूते राहुल हर बात मनवा लेता था अब कुंठा और तृष्णा का कारण बन चुकी थी
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Friday, November 13, 2015
राहुल की जिद
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