श्रीराम के पास चार कलाये
श्रीकृष्ण के पास सोलह कलाये
और श्री हनुमान के पास चौसठ कलाये थी
श्रीराम मर्यादा को स्थापित करने आये थे
श्रीराम मर्यादा को स्थापित करने आये थे
मर्यादित होकर सादगी पूर्ण जीवन जीने के लिए
व्यक्ति को अपनी विशिष्टता दर्शाना
आवश्यक नहीं होता है
सीमित संसाधनों के बल पर
विषम परिस्थितियों में में क्या किया जा सकता है समाज में सामूहिक चेतना जगा कर
उसे संगठित कर अत्याचार के विरुध्द
किस प्रकार प्रतिकार किया जा सकता है
यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने प्रमाणित किया था इसके लिए श्रीराम ने वन में रहने वाले
वनवासियों का सहयोग लिए
अतिशयोक्ति पूर्ण भाषा में उन्हें वानर कहा गया ।वर्तमान में जो लोग नक्सलवादी सोच रखते है
उन्हें श्रीराम से सीखना चाहिए
तथा अपने अभियान उसके उद्देश्य और साधनो की पवित्रता के सम्बन्ध में विचार करना चाहिए
यदि पवित्र उद्देश्य है
तो स्थानीय निवासियो स्थानीय संसाधनों को संघर्ष का माध्यम बनाया जा सकता है
अपने देश की धरती पर विदेशियो से प्राप्त और शस्त्र से किया गया संघर्ष देश द्रोही बनाता है
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