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Friday, November 6, 2015

श्रीराम का संघर्ष और उसकी शुचिता

श्रीराम के पास चार कलाये 
श्रीकृष्ण के पास सोलह कलाये 
और श्री हनुमान के पास चौसठ कलाये थी
श्रीराम मर्यादा को स्थापित करने आये थे 
मर्यादित होकर सादगी पूर्ण जीवन जीने के लिए 
व्यक्ति को अपनी विशिष्टता दर्शाना
 आवश्यक नहीं होता है 
सीमित संसाधनों के बल पर 
विषम परिस्थितियों में में क्या किया जा सकता है समाज में सामूहिक चेतना जगा कर 
उसे संगठित कर अत्याचार के विरुध्द 
किस प्रकार प्रतिकार किया जा सकता है 
यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने प्रमाणित किया था इसके लिए श्रीराम ने वन में रहने वाले 
वनवासियों का सहयोग लिए 
अतिशयोक्ति पूर्ण भाषा में उन्हें वानर कहा गया ।वर्तमान में जो लोग नक्सलवादी सोच रखते है 
उन्हें  श्रीराम से सीखना चाहिए 
तथा अपने अभियान उसके उद्देश्य और साधनो की पवित्रता के सम्बन्ध में विचार करना चाहिए 
यदि पवित्र उद्देश्य है 
तो स्थानीय निवासियो स्थानीय संसाधनों को संघर्ष का माध्यम बनाया जा सकता है 
अपने देश की धरती पर विदेशियो से प्राप्त और शस्त्र से किया गया संघर्ष देश द्रोही बनाता है

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