Total Pageviews

Thursday, February 11, 2016

भगवत सत्ता का जीवन दर्शन

आस्तिक भाव धारण करने वाला व्यक्ति
 व्यवहारिक जगत में
 भगवद् सत्ता का अनुभव करता है 
          सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण व्यक्तित्व 
जीवन के हर क्षेत्र में ईश्वरीय शक्तियो की 
उपस्थिति को पाता है  
जो व्यक्ति इस प्रकार की अनुभूतियों से
 परिपूर्ण होता है 
उसे साधना उपासना के लिए
 विशेष प्रयत्न नहीं करना पड़ता है 
उसे स्वतः की ईष्ट का
 आशीष प्राप्त हो जाता है
 इस सिद्धांत का आधार यह है कि
 ईश्वर निराकार स्वरूप में 
प्रत्येक प्राणी और पदार्थ में विद्यमान है
  भौतिक जगत की समस्त रचनाये 
 उसी  की रची हुई है 
समय समय पर विशेष परिस्थितियों में ही
 वह केंद्रीकृत होकर साकार रूप धारण करता है 
तब उसके साकार स्वरूप को
 लोग अवतार के रूप में जानते है

No comments:

Post a Comment