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Wednesday, March 30, 2016

अंत

अंत में संत है महंत है पूर्ण विराम है
अंत में मृत्यु का सत्य है श्रींराम है
अंत में कथा का श्रवण वैकुण्ठधाम है
अंत में क्षीणता दुर्बलता बुढ़ापा है
अनुभव की गहराई है नभ् नापा है
अंत में वैराग है संन्यास है शोक है
शाश्वत और सनातन है श्लोक है
अंत में लक्ष्य है शिखर है सागर गहरा है
अनंत ब्रह्माण्ड के भीतर तम ठहरा है
अंत में कृष्ण गीता है रामायण है
कर्तव्य से विमुख क्यों ? समरांगण है
अंत में लय है प्रलय है ताण्डव है
नर में नारायण सत्य में पांडव है
अंत में नाद है निनाद है नृत्य उत्तम है
शिव का डमरू बजता डम डम है
इसलिए अंत से आरम्भ है
आरम्भ से अंत है
सृष्टि का बीज है बीज में बसंत है

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