दुष्ट लोग अकारण सज्जनो से
शत्रुता का भाव रखते है
उसका परिणाम क्या होता है
उसका परिणाम क्या होता है
यह शिव एवम् दक्ष प्रजापति का प्रसंग बताता है
दक्ष प्रजापति शिव जी के श्वसुर थे
जो अकारण शिव जी से घृणा करते थे
जबकि शिव जी ने कभी भी ऐसा कार्य नहीं किया
जिससे दक्ष प्रजापति को कष्ट पहुचा हो
शिव जी सदैव संतुष्ट हर प्रकार की परिस्थितियों में
प्रसन्न रहने वाले लोक कल्याण की
भावना रखने वाले देवता है
शिव जी ने कभी भी दक्ष कन्या
सती को प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं किया
इसके विपरीत दक्ष कन्या ने स्वयं ही
तपस्या कर शिव जी का वरण किया था
इसके बावजूद शिव के प्रति दुर्भावना पूर्ण विचारो के कारण दक्ष प्रजापति दुराग्रह से ग्रस्त रहे
परिणाम क्या हुआ दक्ष प्रजापति को
वराह मुख प्राप्त हुआ
इसलिए अकारण शत्रुता भाव
सज्जनो के प्रति नहीं रखना चाहिए यह शिव दक्ष प्रजापति की यह कथा सन्देश देती है
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