Total Pageviews

93892

Saturday, July 9, 2016

पलायन या वैराग्य

कुछ लोग कर्म से पलायन कर अपनी जिम्मेदारियो से मुह मोड़ कर वैराग्य का वेश धारण कर लेते है
कर्म क्षेत्र में असफलता के कारण धारण वैराग्य वास्तविक अर्थो में वैराग्य न होकर पलायन होता है
ऐसे व्यक्ति जहा जाते वहा अपनी अकर्मण्यता का बोध कराते है व्यक्ति चाहे कही भी रहे किसी भी देश में किसी भी वेश में रहे कर्म कभी उसका पीछा नहीं छोड़ता यह सत्य है कि कर्म का स्वरूप अवश्य बदल जाता है कर्म शील व्यक्ति द्वारा धारण किया गया वैराग्य ही सच्चा वैराग्य होता है व्यक्ति के में शुचिता हो तो वह किसी भी वेश में रहे देश में रहे वैरागी है

No comments:

Post a Comment