चार दिन की चांदनी फिर अंधियारी रात
जो मस्ती में मस्त रहा ईश्वर उसके साथ
जहा रही नई सोच है जीवन है गतिमान
स्थिरता में शून्य रहा विकसित ऊर्जावान
जीव है जग में पड़ा रहा जीवन का न पार
हे! नारायण दूत हमे दुर्गम पथ से तार
हर कण में है व्याप्त रहा परमेश्वर सर्वज्ञ
जीवो का कल्याण करे वैदिक दैविक यज्ञ
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