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Friday, July 3, 2020

लौटा दे कोई बीते हुए पल

कहते है ,समय हर यक्ष प्रश्न का जबाब देता है ।इसलिए सही समय की प्रतीक्षा करो ।परन्तु सही समय की प्रतीक्षा में सही व्यक्ति का पूरा जीवन संघर्षो में बीत जाता है ।संघर्ष करते करते सही व्यक्ति के जीवन का रस और आनंद कही खो जाता है और रह जाती है वे अनुभूतिया जिनकी स्मृति मात्र व्यक्ति के मन मे कसैलापन ला देती है ।व्यक्ति  के हृदय में तब आत्मीयता स्नेह करुणा के स्त्रोत सूख जाते है । व्यक्ति यथार्थवादी हो जाता है ।
      इसलिए यह कहना कि समय हर प्रश्न का जबाब दे देता है सही समय का इंतज़ार करो ।कहना बहुत आसान है ।नही आसान होता बुरे समय से गुजरने वाले व्यक्ति की समस्याओं को समझना,अनुभूतियो को जानना, संघर्ष यात्रा के पथ के उतार चढ़ाव पीड़ा को पहचानना ।हम तत्काल उस व्यक्ति के शुष्क व्यवहार पर टिप्पणी कर देते है ।जिसने समय से संघर्ष करते करते उपलब्धिया पाई है । यह शाश्वत  सत्य है कि बीता हुआ समय कभी वापस नही लौटता । लौट कर आती है  तो दुखद और सुखद यादे । ये दुखद और सुखद यादे ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को परिभाषित करती है ।
        हर आयु के साथ जुड़े  हुए कुछ आनंद के पल होते है । बचपन , यौवन , की अपनी आवश्यकता होती है ।समय बीत जाने पर हम बचपन आनंद को अधेड़ अवस्था मे अनुभव नही कर सकते ।यौवन के आनंद को वृध्दावस्था में अनुभव नही किया जा सकता । चाहे लाख अनुकूलताएं आ जाये एक उम्र बीत जाने पर उस उम्र से जुड़ी आनंद की अनुभूतियो का अनुभव नही किया जा सकता । जिन लोगो ने बचपन मे बचपन के उल्लास को ,यौवन में यौवन की उमंग को अनुभव नही किया है ।आयु बीत जाने पर बूढ़े होने पर उस आनंद को पाना चाहते है ।इसलिए कोई व्यक्ति वृध्दावस्था में बच्चों की तरह खेलना कूदना चाहता है ।उछलने की कोशिश करता है । कुछ लोग वानप्रस्थ अवस्था दूसरा विवाह कर लेते है । इसलिए उच्छृंखलता और उदंडता से परे बच्चों को  अपनी स्वाभाविक चपलता और मस्ती जीने अवसर दिए जाने चाहिए। इसी प्रकार से किशोर और तरुण को भी यौवन से जुड़ी उमंगे  को खिलने तथा तरंगित होने के मौके मिलने चाहिए ।अन्यथा बचपन और यौवन न जीने कुंठा व्यक्ति के व्यक्तित्व को तहस नहस कर देती है जिसकी परिणीति व्यक्तित्व में आने वाली विकृतियों के रूप में होती है

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